शरीर के किस अंग का संबंध किस ग्रह से है? यह सवाल जितना दिलचस्प है, उतना ही रहस्यमय भी। ज्योतिष शास्त्र में माना जाता है कि हमारे शरीर के अलग-अलग अंगों पर ग्रहों का सीधा असर होता है।
सोचिए, अगर आप यह जान लें कि किस अंग पर कौन-सा ग्रह राज करता है, तो न केवल आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर समझ पाएंगे, बल्कि जीवन के कई पहलुओं पर भी नई रोशनी पड़ सकती है।
इस लेख में हम आपको आसान और सरल भाषा में बताएंगे कि कौन-से ग्रह का संबंध शरीर के किस हिस्से से होता है — ताकि आप ज्योतिष और शरीर विज्ञान के इस अनोखे मेल को गहराई से समझ सकें।
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शरीर के किस अंग का संबंध किस ग्रह से है? (Which Planet Rules Which Body Part?)

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हमारे शरीर के हर अंग पर किसी-न-किसी ग्रह का प्रभाव होता है। ये ग्रह न केवल हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं, बल्कि हमारे स्वभाव, ऊर्जा और मानसिक स्थिति पर भी गहरा असर डालते हैं।
उदाहरण के लिए, सूर्य हृदय से जुड़ा है, जबकि चंद्रमा मन और मस्तिष्क को नियंत्रित करता है। अगर किसी ग्रह की स्थिति कुंडली में कमजोर या मजबूत हो, तो उसका असर उस विशेष अंग और उससे संबंधित जीवन के क्षेत्र पर साफ दिखाई देता है।
नीचे हम आपको विस्तार से बताएंगे कि किस ग्रह का संबंध शरीर के किस हिस्से से होता है — ताकि आप अपने स्वास्थ्य और ज्योतिषीय स्थितियों को बेहतर ढंग से समझ सकें।
1. सूर्य ग्रह का प्रभाव
सूर्य को आत्मा और जीवन शक्ति का स्रोत माना जाता है। यह हमारे आत्मबल, मस्तिष्क की कार्यक्षमता और सोचने की शक्ति को नियंत्रित करता है।
कुंडली में सूर्य अगर मेष राशि में उच्च स्थिति में हो, तो व्यक्ति में नेतृत्व क्षमता, स्पष्ट सोच और आत्मविश्वास भरपूर होता है।
लेकिन तुला राशि में नीच हो तो व्यक्ति में आत्मबल की कमी, बार-बार सिरदर्द और आंखों की कमजोरी जैसी समस्याएं आ सकती हैं।
उदाहरण: अगर किसी व्यक्ति को निर्णय लेने में झिझक होती है और वह मानसिक रूप से कमजोर महसूस करता है, तो यह सूर्य की कमजोरी का संकेत हो सकता है।
उपाय: रोज सुबह सूर्य को तांबे के लोटे में जल अर्पित करें, रविवार को लाल वस्त्र धारण करें और सूर्य मंत्र “ॐ घृणि सूर्याय नमः” का जाप करें।
2. चंद्रमा ग्रह का प्रभाव
चंद्रमा मन और भावनाओं का कारक है। यह हमारे मानसिक संतुलन, नींद की गुणवत्ता और संवेदनशीलता को प्रभावित करता है।
वृषभ राशि में चंद्रमा उच्च होता है जिससे व्यक्ति भावनात्मक रूप से स्थिर रहता है। वहीं वृश्चिक राशि में यह नीच स्थिति में होने पर चिड़चिड़ापन, अवसाद और नींद की समस्या पैदा कर सकता है।
उदाहरण: बार-बार मूड स्विंग होना या नींद न आना – ये कमजोर चंद्रमा के लक्षण हो सकते हैं।
उपाय: सोमवार का व्रत रखें, दूध और चावल का सेवन करें, और चंद्र मंत्र “ॐ चंद्राय नमः” का जाप करें।
3. मंगल ग्रह का प्रभाव
मंगल ग्रह शरीर में बल, रक्त और साहस का प्रतीक है। यह आंखों, गले और खून से जुड़ी समस्याओं पर असर डालता है।
अगर कुंडली में मंगल मजबूत हो तो व्यक्ति में ताकत, आत्मरक्षा की क्षमता और सकारात्मक ऊर्जा होती है। लेकिन अगर मंगल अशुभ हो तो गुस्सा, रक्तचाप की समस्या और गले में दर्द हो सकता है।
उदाहरण: बार-बार चोट लगना या खून से जुड़ी बीमारी होना – ये मंगल दोष की ओर इशारा कर सकते हैं।
उपाय: हनुमान चालीसा का पाठ करें, मंगलवार को लाल मसूर की दाल दान करें और लाल रंग के वस्त्र पहनें।
4. बुध ग्रह का प्रभाव

बुध ग्रह हमारी सोचने की शक्ति, संवाद और पाचन तंत्र से जुड़ा होता है। अगर बुध शुभ स्थिति में हो तो व्यक्ति की तर्कशक्ति तेज होती है, वह स्पष्ट और प्रभावशाली बोलता है।
लेकिन अगर यह ग्रह नीच हो (मीन राशि में), तो पेट खराब रहना, बोलने में अटकना और स्किन एलर्जी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
उदाहरण: लगातार गैस्ट्रिक समस्या या भ्रम की स्थिति – ये कमजोर बुध का संकेत हो सकता है।
उपाय: बुधवार को हरी सब्जियां, मूंग और तुलसी का सेवन करें, और हरे वस्त्र पहनें। बुध मंत्र “ॐ बुधाय नमः” का जाप करें।
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5. गुरु (बृहस्पति) ग्रह का प्रभाव
गुरु ग्रह को ज्ञान, नैतिकता और लिवर से संबंधित माना जाता है। यह शरीर में चर्बी, पाचन अग्नि और विचारों की शुद्धता को नियंत्रित करता है।
शुभ स्थिति में यह व्यक्ति को ज्ञानी और संतुलित बनाता है। लेकिन अगर गुरु मकर राशि में नीच हो, तो मोटापा, लिवर से जुड़ी समस्याएं और मानसिक भ्रम हो सकते हैं।
उदाहरण: बिना कारण वजन बढ़ना या हमेशा मानसिक उलझन में रहना – यह गुरु की गड़बड़ी हो सकती है।
उपाय: गुरुवार को पीले वस्त्र पहनें, चने की दाल और केला दान करें। गुरु मंत्र “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” का जाप करें।
6. शुक्र ग्रह का प्रभाव
शुक्र प्रेम, सौंदर्य और भोग-विलास का प्रतीक है। यह त्वचा, गुप्तांग और हार्मोन को नियंत्रित करता है। शुक्र की शुभ स्थिति व्यक्ति को आकर्षक, प्रेमी स्वभाव का और कला में रुचि रखने वाला बनाती है।
लेकिन अशुभ स्थिति में त्वचा रोग, यौन समस्याएं और असंतुलन हो सकता है।
उदाहरण: चेहरे पर फुंसियां या संबंधों में कड़वाहट – यह कमजोर शुक्र की ओर इशारा करता है।
उपाय: शुक्रवार को सफेद वस्त्र पहनें, दही या मिश्री का दान करें, और माँ लक्ष्मी की पूजा करें। शुक्र मंत्र “ॐ शुक्राय नमः” का जाप करें।
7. शनि ग्रह का प्रभाव

शनि एक धीमा लेकिन मजबूत प्रभाव वाला ग्रह है। यह हड्डियों, जोड़ों और रीढ़ की हड्डी पर असर डालता है। शुभ स्थिति में यह अनुशासन, कर्मठता और धैर्य देता है।
लेकिन अगर शनि नीच स्थिति में हो (मेष राशि में), तो हड्डी दर्द, गठिया और जीवन में रुकावटें आ सकती हैं।
उदाहरण: लगातार घुटनों में दर्द या जीवन में बार-बार रुकावटें – यह अशुभ शनि का संकेत है।
उपाय: शनिवार को पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं, काली उड़द और तिल दान करें, शनि मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जाप करें।
8. राहु ग्रह का प्रभाव
राहु छाया ग्रह है, जो विशेष रूप से सिर, गले और आंतरिक अंगों पर असर डालता है। यह तकनीकी सोच, राजनीति और धोखे का भी प्रतिनिधि है।
शुभ स्थिति में राहु आपको अनुसंधान, कंप्यूटर और टेक्नोलॉजी में सफलता दिला सकता है। लेकिन अशुभ स्थिति में यह भ्रम, डर, और नशे की आदत बढ़ा सकता है।
उदाहरण: बार-बार सिर में दर्द या नशे की लत लग जाना – यह राहु की गड़बड़ी हो सकती है।
उपाय: नारियल और काले तिल का दान करें, हनुमान जी की पूजा करें, राहु मंत्र “ॐ रां राहवे नमः” का जाप करें।
9. केतु ग्रह का प्रभाव
केतु भी एक छाया ग्रह है, जो गले, दिल, फेफड़ों और रीढ़ पर प्रभाव डालता है। शुभ स्थिति में यह व्यक्ति को ध्यान, साधना और आत्मचिंतन में प्रवृत्त करता है।
लेकिन जब केतु अशुभ हो तो भय, भ्रम और फेफड़ों की बीमारी हो सकती है।
उदाहरण: अचानक डर लगना या टांगों में कमजोरी – यह अशुभ केतु का प्रभाव हो सकता है।
उपाय: कुत्तों को रोटी खिलाएं, धूप-दीप जलाएं, और केतु मंत्र “ॐ कें केतवे नमः” का जाप करें।
निष्कर्ष
जैसे ही हम “ग्रहों का हमारे शरीर पर प्रभाव” समझते हैं, यह स्पष्ट हो जाता है कि ज्योतिष शास्त्र केवल भविष्यवाणी का साधन नहीं, बल्कि स्वास्थ्य, मनोबल और जीवन के हर क्षेत्र से जुड़ा गहरा विज्ञान है।
नवग्रह हमारे शरीर के भीतर होने वाली गतिविधियों, मानसिक दशा और भावनात्मक स्थिरता को नियंत्रित करते हैं।
कुंडली में ग्रहों की स्थिति का अध्ययन कर आप अपने जीवन में संतुलन, ऊर्जा और सकारात्मकता ला सकते हैं।
अगर आप बार-बार शारीरिक समस्याओं या मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं, तो हो सकता है कि इसका कारण आपकी कुंडली में ग्रह दोष हो।
सही उपाय, मंत्र जाप, दान, और सकारात्मक जीवनशैली के ज़रिए इन प्रभावों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
FAQs
कौन सा भगवान सभी ग्रहों को नियंत्रित करता है?
हिंदू धर्म और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान शनिदेव और भगवान सूर्य को ग्रहों के प्रमुख नियंत्रक माना जाता है।
सूर्य सभी नौ ग्रहों में राजा माने जाते हैं और समस्त ग्रहों को ऊर्जा प्रदान करते हैं।
वहीं शिव को भी सर्वोच्च शक्ति के रूप में माना जाता है, जो सभी ग्रहों के प्रभाव से ऊपर होते हैं।
कई लोग ग्रहों के दुष्प्रभाव को शांत करने के लिए शिव पूजा, हनुमान चालीसा, या नवग्रह स्तोत्र का पाठ करते हैं।
शरीर का शक्ति ग्रह कौन सा अंग कहलाता है?
ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को शरीर की शक्ति, ऊर्जा और साहस का प्रतिनिधि माना जाता है।
इसका सीधा संबंध मांसपेशियों, रक्त संचार और हड्डियों से होता है।
यदि मंगल मजबूत हो, तो व्यक्ति में शारीरिक बल, आत्मविश्वास और निर्णय लेने की शक्ति अधिक होती है।
मोटा शरीर के लिए कौन सा ग्रह जिम्मेदार है?
गुरु ग्रह (बृहस्पति) और कभी-कभी शुक्र ग्रह शरीर में मोटापा बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
बृहस्पति यदि कुंडली में अशुभ स्थिति में हो, तो यह वजन बढ़ने, चर्बी जमा होने और पाचन तंत्र में गड़बड़ी का कारण बन सकता है।
शुक्र भी भौतिक सुख, भोजन और स्वाद से जुड़ा होता है, जिससे अधिक खाने की प्रवृत्ति बनती है।

विजय वर्मा वैदिक ज्योतिष (Vedic Astrology) और रत्न विज्ञान (Gemstone Science) में 20+ वर्षों का अनुभव रखते हैं। उन्होंने 10,000 से अधिक कुंडलियों (Horoscopes) का विश्लेषण किया है और व्यक्तिगत व पेशेवर उन्नति के लिए सटीक मार्गदर्शन प्रदान किया है। उनका अनुभव उन्हें एक भरोसेमंद ज्योतिष विशेषज्ञ बनाता है।