संतानोत्पत्ति के लिए कौन सा ग्रह जिम्मेदार है? यह सवाल बहुत से दंपतियों के मन में तब आता है जब संतान सुख में देरी या कोई बाधा आने लगती है। क्या आपकी कुंडली में संतान योग है? किन ग्रहों का प्रभाव संतान प्राप्ति में सहायक या रुकावट बन सकता है?
इस लेख में हम आपको सरल भाषा में बताएंगे कि कौन-कौन से ग्रह संतानोत्पत्ति के लिए जिम्मेदार होते हैं, और ज्योतिष शास्त्र में उन्हें कैसे पहचाना जाता है।
अगर आप भी जानना चाहते हैं कि आपकी कुंडली इस मामले में क्या संकेत दे रही है, तो आगे पढ़ते रहें – यहां आपको वो जानकारी मिलेगी जो शायद आपने पहले कभी नहीं सुनी होगी।
संतानोत्पत्ति के लिए कौन सा ग्रह जिम्मेदार है? (Which planet is responsible for childbirth?)
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार संतान प्राप्ति में मुख्य रूप से गुरु (बृहस्पति) ग्रह का सबसे बड़ा योगदान होता है। इसे संतान कारक ग्रह माना गया है, विशेषकर पुरुष संतान के लिए। वहीं चंद्रमा, शुक्र, सूर्य और मंगल भी संतान योग को प्रभावित करते हैं।

अगर ये ग्रह शुभ और बलशाली हों तो संतान प्राप्ति के योग मजबूत होते हैं। पंचम भाव और पंचमेश की स्थिति के साथ इन ग्रहों का गोचर और दशा भी यह तय करता है कि संतान सुख कब और कैसे मिलेगा।
आगे लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि इन ग्रहों की भूमिका क्या होती है और इनके अशुभ प्रभाव को कैसे दूर किया जा सकता है।
पंचम भाव
कुंडली में पंचम भाव को संतान भाव माना गया है। यदि यह भाव शुभ ग्रहों से युक्त या दृष्ट हो और पंचमेश (पंचम भाव का स्वामी) अच्छी स्थिति में हो, तो संतान सुख मिलने के प्रबल योग बनते हैं। इसके लिए निम्न बातें देखी जाती हैं—
- पंचमेश किस भाव में है और किन ग्रहों के साथ युति में है
- पंचम भाव में बैठे ग्रह कौन-कौन से हैं
- गुरु और सूर्य जैसे संतान कारक ग्रहों की दृष्टि पंचम भाव या पंचमेश पर है या नहीं
- नवांश और सप्तमांश कुंडली में पंचम भाव की स्थिति
- अष्टकवर्ग में पंचम भाव को मिलने वाले बिंदुओं की संख्या
उदाहरण के लिए यदि पंचमेश गुरु है और वह नवम भाव (धर्म भाव) में उच्च स्थिति में हो, तो जातक को योग्य, धार्मिक और संस्कारी संतान प्राप्त होने की संभावना रहती है।
गोचर और दशा से पता चलता है संतान प्राप्ति का समय
सिर्फ जन्म कुंडली देखना पर्याप्त नहीं होता। गोचर ग्रहों की वर्तमान स्थिति भी यह बताती है कि कब संतान प्राप्ति हो सकती है।
जब संतान कारक ग्रह जैसे गुरु या सूर्य पंचम भाव पर शुभ दृष्टि डालते हैं या वहां गोचर करते हैं, तो संतान सुख मिलने का समय आता है।
अष्टकवर्ग का भी इसमें उपयोग होता है। पंचम भाव को मिलने वाले बिंदु जितने अधिक होते हैं, संतान प्राप्ति की संभावना उतनी ही प्रबल होती है। अगर सूर्य और गुरु से पंचम भाव में 5 या उससे अधिक बिंदु मिलते हैं, तो संतान सुख के प्रबल संकेत होते हैं।
संतान का लिंग

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की प्रकृति से यह जाना जा सकता है कि संतान पुत्र होगी या पुत्री।
- पुरुष ग्रह (सूर्य, मंगल, गुरु) के प्रभाव से पुत्र संतान की संभावना होती है
- स्त्री ग्रह (चंद्रमा, शुक्र) की अधिकता पुत्री संतान का संकेत देती है
इसके अलावा, महादशा, अंतर्दशा और प्रत्यंतर दशा के दौरान संतान कारक ग्रहों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है।
उदाहरण के लिए, शुक्र की दशा में यदि गुरु की अंतर्दशा हो और गुरु पंचम भाव में बैठा हो, तो पुत्री संतान का योग बनता है।
संतान सुख के लिए किन ग्रहों को करें मजबूत
जिन लोगों को संतान प्राप्ति की इच्छा हो, उन्हें सूर्य, गुरु और मंगल को बलशाली बनाना चाहिए। ये ग्रह विशेष रूप से पुत्र संतान के लिए उत्तरदायी माने गए हैं।
- सूर्य जीवन ऊर्जा का प्रतीक है और संतान को तेजस्विता प्रदान करता है
- गुरु ज्ञान और धर्म का कारक है, जिससे संतान संस्कारी और विद्वान बनती है
- मंगल संतान में साहस, पराक्रम और नेतृत्व क्षमता लाता है
केतु भी एक महत्वपूर्ण ग्रह है जो मोक्ष का कारक माना जाता है, और इसके शुभ प्रभाव से संतान प्राप्ति के गहरे आध्यात्मिक संकेत मिलते हैं।
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संतान में बाधा के कारण और उनकी ज्योतिषीय पहचान
कई बार ऐसा होता है कि जातक को संतान नहीं होती या बार-बार गर्भपात होता है। इसके पीछे कुंडली में निम्न संभावनाएं देखी जाती हैं—
- पंचमेश या गुरु का छठे, आठवें या बारहवें भाव में होना
- पंचम भाव में पाप ग्रहों की उपस्थिति या दृष्टि
- सप्तमांश कुंडली में पंचम भाव का निर्बल या पीड़ित होना
यदि महिला की कुंडली में गुरु (बृहस्पति) कमजोर हो या वह अशुभ भाव में चला गया हो, तो गर्भधारण में रुकावट आ सकती है।
संतान प्राप्ति के लिए करें ये विशेष उपाय
संतान सुख की प्राप्ति के लिए रविवार के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देना अत्यंत फलदायी होता है। गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का नियमित जाप संतान योग को मजबूत करता है।
मार्गशीर्ष माह में 16 दिनों तक मां गौरी का पूजन संतान बाधा को दूर कर सकता है। गाय की सेवा और ब्राह्मणों को भोजन कराना शुभ फल देता है। बिना नमक का उपवास और मनोकामना के साथ किया गया पूजन भी संतान प्राप्ति में चमत्कारी परिणाम देता है।

सूर्य देव की पूजा करें
शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रविवार के दिन सूर्य नारायण को जल से अर्घ्य दें, लाल पुष्प चढ़ाएं और एक मीठा फल अर्पित करें।
दिन भर बिना नमक का भोजन करें और संतान प्राप्ति की कामना करें। यह उपाय वर्ष भर हर रविवार को किया जाए तो अत्यंत लाभकारी माना गया है।
मंत्र जाप और हवन

संतान प्राप्ति के लिए नियमित रूप से “बंध्यत्व हर गौर्यै नमः” मंत्र का जप अत्यंत प्रभावी माना गया है। गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का 2500 बार जाप विशेष रूप से फलदायी होता है।
मंत्रों का उच्चारण शुद्ध मन और श्रद्धा से किया जाए तो उसका असर जल्दी होता है। अंतिम दिन हवन करके वातावरण को शुद्ध किया जाता है और देवी-देवताओं का आह्वान होता है। हवन के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना
और वस्त्र दान करना पुण्यफल में वृद्धि करता है। गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का कम से कम 2500 बार जाप करें। फिर हवन करके ब्राह्मणों को भोजन कराएं और यथाशक्ति दान दें।
बार-बार गर्भपात हो तो करें यह उपाय
बार-बार गर्भपात की समस्या आने पर देवी गौरी की पूजा विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है। महिला को रोज़ सुबह तांबे के लोटे से पीपल या तुलसी को जल चढ़ाना चाहिए।
मंदिर में घी का दीपक जलाकर “संतान गोपाल मंत्र” का नियमित जप करें। साथ ही, हर गुरुवार को गरीब बच्चों को केले या मीठा भोजन कराना पुण्यदायी माना जाता है।
गौरी पूजन से संतान बाधा का निवारण
मार्गशीर्ष माह की शुक्ल प्रतिपदा से 16 दिनों तक गौरी पूजन करें। प्रतिदिन एक बार भोजन लें और ‘बंध्यत्व हर गौर्यै नमः’ मंत्र का अधिकतम जाप करें।
अंतिम दिन तिल के तेल का दीपक जलाकर जागरण करें, भजन-कीर्तन करें, फिर 16 ब्राह्मण दंपतियों को भोजन करवा कर वस्त्र आदि का दान दें।
ज्योतिषीय सलाह: संतान योग की पुष्टि केवल विशेषज्ञ द्वारा कराएं
हर कुंडली की स्थिति अलग होती है। इसलिए पंचम भाव, पंचमेश, नवांश, सप्तमांश और गोचर के संपूर्ण विश्लेषण के बाद ही यह कहा जा सकता है कि संतान प्राप्ति कब और कैसे संभव होगी। संतान के स्वभाव, लिंग और सफलता तक का अनुमान सही ज्योतिषीय दृष्टिकोण से लगाया जा सकता है।
निष्कर्ष
संतान प्राप्ति का योग कोई सामान्य विषय नहीं है, यह एक गहरा और अनुभवी ज्योतिषीय विश्लेषण मांगता है। पंचम भाव, ग्रहों की दशा और गोचर, अष्टकवर्ग बिंदु और नवांश-सप्तमांश का अध्ययन संतान योग को स्पष्ट करता है।
यदि आपकी कुंडली में संतान बाधा हो, तो वैदिक उपायों और पूजा विधियों से उसे दूर किया जा सकता है।
सही समय पर सही उपाय करने से न केवल संतान प्राप्ति होती है, बल्कि वह संतान आपके जीवन का गौरव बनती है। इसलिए जन्म कुंडली से संतान प्राप्ति योग की पहचान अवश्य कराएं और ज्योतिष के मार्गदर्शन से परिवार को पूर्णता दें।
FAQs
कुंडली में संतान प्राप्ति के लिए कौन से योग होते हैं?
कुंडली में पंचम भाव और उसके स्वामी (पंचमेश) की स्थिति संतान योग का मुख्य संकेत देती है। यदि पंचम भाव पर गुरु, सूर्य या चंद्रमा की शुभ दृष्टि हो या पंचमेश उच्च राशि में स्थित हो, तो संतान प्राप्ति का प्रबल योग बनता है। नवांश व सप्तमांश कुंडली, तथा अष्टकवर्ग के बिंदु भी इस योग को मजबूत या कमजोर बनाते हैं।
संतान प्राप्ति के लिए कौन से देवता की पूजा करनी चाहिए?
संतान प्राप्ति के लिए भगवान सूर्य, शिव, देवी पार्वती (गौरी), और श्रीकृष्ण की पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है। विशेष रूप से गौरी पूजन, सप्तमी के दिन सूर्य अर्घ्य, और सोमवार को शिवलिंग पर जल अर्पण करने से संतान से जुड़ी बाधाएं दूर हो सकती हैं। साथ ही, गायत्री मंत्र और संतान गोपाल मंत्र का जाप भी अत्यंत प्रभावशाली होता है।
जल्दी संतान प्राप्ति के लिए क्या उपाय करें?
जल्दी संतान प्राप्ति के लिए निम्न उपाय प्रभावी माने जाते हैं:
रविवार को सूर्य को जल में लाल पुष्प डालकर अर्घ्य दें
मार्गशीर्ष माह में 16 दिन गौरी पूजन करें
“बंध्यत्व हर गौर्यै नमः” मंत्र का 16,000 बार जाप करें
शिवलिंग पर क्या चढ़ाने से संतान की प्राप्ति होती है?
संतान प्राप्ति के लिए सोमवार को शिवलिंग पर कच्चा दूध, गंगाजल, सफेद फूल, शहद, और बेल पत्र चढ़ाना शुभ माना जाता है। विशेषकर सफेद चंदन और दूध में केसर मिलाकर चढ़ाना भी लाभकारी होता है। साथ ही “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जाप करते हुए प्रार्थना करना संतान संबंधी समस्याओं में चमत्कारी प्रभाव देता है।

विजय वर्मा वैदिक ज्योतिष (Vedic Astrology) और रत्न विज्ञान (Gemstone Science) में 20+ वर्षों का अनुभव रखते हैं। उन्होंने 10,000 से अधिक कुंडलियों (Horoscopes) का विश्लेषण किया है और व्यक्तिगत व पेशेवर उन्नति के लिए सटीक मार्गदर्शन प्रदान किया है। उनका अनुभव उन्हें एक भरोसेमंद ज्योतिष विशेषज्ञ बनाता है।