क्रोध की अधिकता किस ग्रह के कारण होती है? यह सवाल तब और जरूरी हो जाता है जब बिना किसी ठोस वजह के मन बार-बार गुस्से से भर उठता है।
क्या कभी आपने सोचा है कि आपके स्वभाव में चिड़चिड़ापन, गुस्सा या झुंझलाहट की जड़ सिर्फ बाहरी परिस्थितियाँ नहीं, बल्कि आपकी कुंडली में मौजूद ग्रह भी हो सकते हैं?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुछ विशेष ग्रह हमारे मन-मस्तिष्क को इस हद तक प्रभावित करते हैं कि हम अपने क्रोध पर काबू नहीं रख पाते।
इस लेख में आप जानेंगे कि क्रोध की जड़ में कौन-कौन से ग्रह होते हैं, किस ग्रह की युति सबसे खतरनाक होती है, और क्या उपाय करके आप इस समस्या को नियंत्रित कर सकते हैं।
अगर आप या आपके किसी करीबी को गुस्से की समस्या बार-बार परेशान कर रही है, तो नीचे दिया गया ज्योतिषीय विश्लेषण आपके लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकता है।
पढ़ते रहिए, और जानिए कैसे ग्रहों का खेल आपके स्वभाव को बदल सकता है!
क्रोध की अधिकता किस ग्रह के कारण होती है? (Which Planet Causes Excess Anger)

ज्योतिष में यह माना जाता है कि कुछ विशेष ग्रह व्यक्ति के स्वभाव को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं, खासकर क्रोध जैसी तीव्र भावनाओं को।
जब ये ग्रह कुंडली में अशुभ स्थिति में होते हैं या आपस में नकारात्मक युति बनाते हैं, तब व्यक्ति का स्वभाव उग्र, असहिष्णु और क्रोधित हो जाता है।
मुख्य रूप से मंगल, राहु, शनि, सूर्य और चंद्रमा को क्रोध से जुड़ा हुआ माना जाता है। मंगल क्रोध और आक्रामकता का कारक है, जबकि राहु भ्रम और तामसिक विचारों को जन्म देता है।
यदि इन ग्रहों का प्रभाव अत्यधिक या विषम रूप से कुंडली में मौजूद हो, तो व्यक्ति छोटी-छोटी बातों पर गुस्से से भर सकता है।
लेकिन केवल ग्रहों के नाम जानना काफी नहीं होता—यह भी समझना ज़रूरी है कि ये ग्रह कब और कैसे क्रोध को बढ़ाते हैं, किन भावों में उनकी स्थिति सबसे अधिक असर करती है, और किन योगों से क्रोध विध्वंसक रूप ले लेता है।
पूरी जानकारी के लिए आगे पढ़ें, जहां हम विस्तार से बताएंगे कि कौन-सा ग्रह क्या भूमिका निभाता है, कौन-से योग सबसे अधिक गुस्सा पैदा करते हैं, और किन उपायों से इस क्रोध को नियंत्रित किया जा सकता है।
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क्रोध का मुख्य कारण
कई बार हम महसूस करते हैं कि हमें बेवजह गुस्सा आ रहा है या छोटी-छोटी बातों पर प्रतिक्रिया बहुत तीव्र हो रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है – अहंकार।
जब किसी का ‘मैं’ चोट खाता है, तो वह तुरंत प्रतिक्रिया करता है और यही प्रतिक्रिया अक्सर क्रोध का रूप ले लेती है।
उदाहरण के लिए, जब कोई व्यक्ति आपको नजरअंदाज करता है या आपकी बात काट देता है, तो आपको तुरंत गुस्सा आ सकता है क्योंकि आपकी अहमियत को ठेस पहुंची होती है।
यह भी देखा गया है कि कुछ लोग यह सोचते हैं कि गुस्सा दिखाना ताकत का प्रतीक है – कि सामने वाला डरेगा या आपकी बात मानी जाएगी। लेकिन असल में यह सोच एक भ्रम है।
क्रोध कमजोरी की निशानी है, आत्म-संयम की कमी का परिचायक है। जब तक अहंकार को नियंत्रित नहीं किया जाएगा, क्रोध कभी नहीं थमेगा।
ज्योतिष में क्रोध और ग्रहों का संबंध

ज्योतिषीय शास्त्र के अनुसार, व्यक्ति के स्वभाव पर ग्रहों का गहरा प्रभाव होता है। क्रोध भी इसमें शामिल है। खासकर पांच ग्रह ऐसे हैं जो क्रोध में वृद्धि करते हैं – मंगल, राहु, सूर्य, शनि और चंद्रमा।
मंगल को ऊर्जा, साहस और युद्ध का कारक ग्रह माना गया है। यह ग्रह जब कमजोर हो या राहु के साथ स्थित हो, तो व्यक्ति आक्रमक, झगड़ालू और असहिष्णु बन जाता है।
राहु, जो भ्रम, आकस्मिकता और तामसिक प्रवृत्तियों का प्रतिनिधि है, जब मंगल के साथ युति करता है, तो ‘अंगारक योग’ बनता है – यह योग व्यक्ति के जीवन में असंतुलन, झगड़े, दुर्घटनाएं और मानसिक अशांति लाता है।
इसका असर सिर्फ मन पर नहीं, बल्कि शरीर, समाज और आर्थिक स्थिति पर भी होता है।
कुंडली में मंगल-राहु के प्रभाव
अब आइए समझते हैं कि कुंडली के किस भाव में यदि मंगल और राहु एक साथ हों, तो उसका असर किस तरह होता है:
लग्न भाव (प्रथम भाव) – इस भाव से व्यक्ति का स्वभाव और शरीर देखा जाता है। यहां मंगल-राहु का योग हो तो जातक उग्र, जिद्दी और बीमारियों से ग्रस्त हो सकता है।
द्वितीय भाव (धन और वाणी) – यहां यह योग व्यक्ति की वाणी को कटु बनाता है और धन की हानि करवाता है। ऐसे व्यक्ति अक्सर किसी की बात सुन नहीं पाते और तुरंत प्रतिक्रिया देते हैं।
पंचम भाव (बुद्धि और संतान) – शिक्षा में बाधाएं, बच्चों से दूरी या चिंता, और मानसिक अस्थिरता का मुख्य कारण बनता है।
अष्टम भाव (आकस्मिक घटनाएं) – इस स्थान पर अंगारक योग दुर्घटनाओं, ऑपरेशन्स, कर्ज और जीवन में अचानक आई मुश्किलों से जुड़ा होता है।
स्त्री जातक की कुंडली में यदि यह योग वैवाहिक भावों में हो तो वैवाहिक जीवन में झगड़े, पति से दूरी, या तलाक जैसी स्थितियां बन सकती हैं।
इस योग के जातकों को अक्सर जमीन-जायदाद, शत्रुओं, कोर्ट केस, और कानूनी मामलों में उलझन रहती है।
कौन से ग्रह योग क्रोध बढ़ाते हैं?
ज्योतिष के अनुसार कई अन्य ग्रहों की युतियाँ भी हैं जो गुस्से को असंतुलित करती हैं:
- मंगल-शनि: जिद और हठ को जन्म देता है।
- मंगल-बुध: वाणी में कड़वाहट और विचारों में अस्थिरता।
- राहु-चंद्रमा: भावनाओं में गड़बड़ी और मानसिक भ्रम।
- शनि-चंद्रमा: डिप्रेशन और निराशा को बढ़ावा।
- गुरु-राहु: भ्रम और झूठे अहंकार में वृद्धि।
यदि मंगल, बुध या चंद्रमा नीच राशि में हों और राहु या सूर्य की दृष्टि हो तो व्यक्ति का मन अशांत और क्रोधी रहता है।
क्रोध के कारण जीवन में आने वाली समस्याएं
क्रोध केवल एक भावना नहीं है, यह धीरे-धीरे जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित करता है:
- शारीरिक समस्याएं: हाई बीपी, गैस्ट्रिक प्रॉब्लम्स, मांसपेशियों में अकड़न, नींद न आना, सिरदर्द, जलन और थकान।
- मानसिक स्थिति: बेचैनी, निर्णय लेने में असमर्थता, भ्रम, चिंता और अकेलापन।
- पारिवारिक तनाव: रिश्तों में कड़वाहट, संवादहीनता, कलह और अलगाव।
- आर्थिक परेशानी: क्रोधवश लिए गए गलत निर्णयों के कारण घाटा, नौकरी में समस्या, बिजनेस में नुकसान।
क्रोध शांत करने के लिए ज्योतिषीय उपाय

अब जानते हैं कुछ ऐसे सरल उपाय जो मंगल-राहु योग से उत्पन्न क्रोध को नियंत्रित करने में मदद करते हैं:
- ॐ अंग अंगारकाय नमः का प्रतिदिन 108 बार जप करें।
- मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें – यह मंगल दोष को शांत करता है।
- शनिवार को साबुत उड़द का दान करें – यह राहु को शांत करता है।
- मंगलवार को गाय को गुड़ खिलाएं – मन को शीतलता मिलती है।
- रोज सफेद चंदन का तिलक लगाएं – यह मस्तिष्क को ठंडा करता है।
- सोमवार को चांदी का कड़ा या अंगूठी पहनें – यह राहु को नियंत्रित करता है।
- “ॐ सौं सोमाय नमः” और “ॐ भोम भोमाय नमः” का जाप करें।
- चांदी के गिलास में पानी या दूध पीना क्रोध और उष्णता को कम करता है।
- बुजुर्गों के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लें – यह अहंकार को कम करता है।
- किसी योग्य पंडित से सलाह लेकर तांबे में मूंगा या चांदी में साउथ सी मोती धारण करें।
- मंगलवार को 8 मीठी रोटियाँ कुत्तों या कौओं को खिलाएं।
- अभिमंत्रित मंगल यंत्र पास रखें – यह तंत्रिकाओं को संतुलन देता है।
अन्य जरूरी सुझाव
सिर्फ ज्योतिषीय उपाय ही नहीं, कुछ जीवनशैली में बदलाव करके भी आप क्रोध पर नियंत्रण पा सकते हैं:
- ध्यान (Meditation) और प्राणायाम (Breathing Techniques) जैसे अनुलोम-विलोम, भ्रामरी करें।
- सात्विक आहार लें। मिर्च-मसालेदार, गरिष्ठ और तामसिक भोजन क्रोध को बढ़ाते हैं।
- सोने से पहले आत्ममंथन करें – दिनभर की घटनाओं पर विचार करें और अपने व्यवहार का मूल्यांकन करें।
- हर बार प्रतिक्रिया देने से पहले 5 सेकंड रुकें – इससे आप सोच पाएंगे कि क्या वाकई गुस्सा जरूरी है।
- ईश्वर का नाम लें, मंत्र जप करें, भजन सुनें – यह मन को तुरंत शांत करता है।
निष्कर्ष
क्रोध और कुंडली में मंगल-राहु का प्रभाव व्यक्ति के जीवन को मानसिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से प्रभावित कर सकता है।
जब क्रोध का कारण केवल व्यवहारिक नहीं, बल्कि ज्योतिषीय भी हो, तब उसका निदान दोनों स्तरों पर आवश्यक होता है।
अगर आपकी कुंडली में अंगारक योग है या बार-बार क्रोध, झगड़े, मानसिक अस्थिरता या नुकसान झेल रहे हैं, तो किसी अनुभवी ज्योतिषाचार्य से परामर्श लें।
इसके साथ ही, अहंकार को पहचानकर उस पर विजय पाना, आत्म-संयम और योग-ध्यान को अपनाना ही स्थायी समाधान है। तभी आप क्रोध जैसी विनाशकारी भावना से बचकर सुखी, संतुलित और सफल जीवन जी सकते हैं।
FAQs
गुस्सा करने से कौन सा ग्रह खराब होता है?
लगातार गुस्सा करने से कुंडली में मंगल ग्रह सबसे अधिक प्रभावित होता है। मंगल आत्म-नियंत्रण, साहस और ऊर्जा का प्रतीक है। जब कोई व्यक्ति बार-बार अनियंत्रित क्रोध करता है, तो यह ऊर्जा नकारात्मक दिशा में प्रवाहित होने लगती है जिससे मंगल अशुभ हो जाता है। इसके साथ ही चंद्रमा, जो मन का कारक है, वह भी कमजोर पड़ सकता है जिससे मानसिक अस्थिरता और चिड़चिड़ापन बढ़ता है।
क्रोधी ग्रह कौन सा ग्रह है?
ज्योतिष में मंगल (Mars) को सबसे क्रोधी ग्रह माना गया है। यह ग्रह आक्रामकता, युद्ध, साहस और क्रिया का प्रतिनिधित्व करता है। जब मंगल कुंडली में नीच का हो या राहु, शनि जैसे अशुभ ग्रहों के साथ युति में हो, तो व्यक्ति का स्वभाव उग्र, असहनशील और हिंसक बन सकता है। इस स्थिति को अंगारक योग कहा जाता है, जो क्रोध की चरम स्थिति को दर्शाता है।
क्रोध को नियंत्रित करने के लिए कौन से ग्रह को शांत करना चाहिए?
क्रोध को नियंत्रण में लाने के लिए सबसे पहले मंगल और राहु ग्रह को शांत करना जरूरी होता है। इसके लिए मंगल मंत्रों का जाप, हनुमान जी की आराधना, और राहु शांति उपाय जैसे ऊँ रां राहवे नमः का जाप किया जा सकता है। साथ ही चंद्रमा को बलवान बनाना भी जरूरी है क्योंकि वह मन का प्रतिनिधित्व करता है। चंद्रमा के लिए ॐ सौं सोमाय नमः मंत्र का जाप और शांतिपूर्ण वातावरण में ध्यान करना लाभकारी होता है।

विजय वर्मा वैदिक ज्योतिष (Vedic Astrology) और रत्न विज्ञान (Gemstone Science) में 20+ वर्षों का अनुभव रखते हैं। उन्होंने 10,000 से अधिक कुंडलियों (Horoscopes) का विश्लेषण किया है और व्यक्तिगत व पेशेवर उन्नति के लिए सटीक मार्गदर्शन प्रदान किया है। उनका अनुभव उन्हें एक भरोसेमंद ज्योतिष विशेषज्ञ बनाता है।