वास्तु शास्त्र के अनुसार रसोई की दिशा कैसी होनी चाहिए? रसोई सिर्फ खाना पकाने की जगह नहीं होती, बल्कि यह पूरे घर की ऊर्जा का केंद्र मानी जाती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, अगर रसोई सही दिशा में हो और उसमें संतुलन बना रहे, तो यह परिवार की सेहत, धन और आपसी रिश्तों को भी बेहतर बनाती है।
वहीं, गलत दिशा में रसोई होने से तनाव, बीमारियां और आर्थिक समस्याएं जन्म ले सकती हैं। आइए जानते हैं कि रसोई की सही दिशा क्या होनी चाहिए और किन वास्तु नियमों का पालन करना जरूरी है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार रसोई की दिशा कैसी होनी चाहिए? (Ideal Kitchen Direction as per Vastu Shastra)
घर बनवाते समय या रिनोवेशन करते समय सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि रसोई की दिशा आपके घर की समृद्धि को किस हद तक प्रभावित कर सकती है।

रसोई वह स्थान है जहां से पूरे परिवार की ऊर्जा की शुरुआत होती है—भोजन के रूप में। वास्तु शास्त्र मानता है कि भोजन सिर्फ शारीरिक पोषण नहीं देता, बल्कि उसमें घर की सकारात्मकता, विचारों की शुद्धता और मानसिक शांति भी छुपी होती है।
यदि रसोई गलत दिशा में बनी हो या उसमें वास्तु दोष हो, तो यह सेहत से लेकर रिश्तों और वित्तीय स्थिति तक पर असर डाल सकता है।
एक सही दिशा में बनी रसोई परिवार में खुशहाली, सामंजस्य और उन्नति को बढ़ावा देती है। इसलिए जब भी घर की योजना बनाएं या रिनोवेशन करें, तो रसोई की लोकेशन को प्राथमिकता दें।
खासतौर पर अग्नि तत्व की दिशा यानी आग्नेय कोण को ध्यान में रखें, क्योंकि यहां चूल्हा या गैस रखने से जीवन में स्थिरता और सफलता दोनों मिलती हैं।
साथ ही, यह भी याद रखें कि वास्तु के अनुसार रसोई का संतुलन केवल दिशा से नहीं, बल्कि वहां की व्यवस्था, रंग, उपकरणों की स्थिति और सफाई से भी जुड़ा होता है। इसलिए समग्र दृष्टिकोण अपनाएं और रसोई को वास्तु के अनुकूल बनाकर अपने घर को खुशहाल और समृद्ध बनाएं।
आग्नेय दिशा (South-East): सबसे उपयुक्त और शुभ दिशा
आग्नेय दिशा अग्नि तत्व से जुड़ी हुई है, और चूंकि रसोई में अग्नि (चूल्हा या गैस स्टोव) का मुख्य स्थान होता है, इसलिए यह दिशा सबसे आदर्श मानी जाती है।

इस दिशा में रसोई होने से घर में उग्रता नहीं बढ़ती बल्कि ऊर्जा का सकारात्मक प्रवाह बना रहता है। मानसिक तनाव कम होता है और खाना भी प्रेम से बनता है।
खाना बनाते समय दिशा: पूर्व मुख सबसे शुभ
यदि आप आग्नेय दिशा में रसोई बनवा रहे हैं, तो खाना बनाते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। इससे स्वास्थ्य बेहतर रहता है और परिवार के सदस्यों में समन्वय बना रहता है।
उत्तर-पश्चिम दिशा: जब आग्नेय दिशा उपलब्ध न हो
कई बार फ्लैट या पहले से बने घर में रसोई की दिशा बदलना संभव नहीं होता। ऐसे में उत्तर-पश्चिम दिशा एक वैकल्पिक लेकिन वास्तु-अनुकूल विकल्प है।
इस दिशा में रसोई बनाते समय क्या ध्यान रखें?
अगर रसोई उत्तर-पश्चिम में है, तो खाना बनाते समय मुख पश्चिम दिशा की ओर रखें। यह अग्नि तत्व के संतुलन को बनाता है और परिवार में स्थिरता लाता है।
रसोई में क्या रखें और क्या न रखें? वास्तु के जरूरी नियम

सिर्फ दिशा ही नहीं, रसोई में वस्तुओं की सही जगह भी आपके जीवन को प्रभावित करती है। सही व्यवस्था से ऊर्जा का प्रवाह ठीक रहता है और नकारात्मकता दूर होती है।
क्या करें:
- पीने का पानी, फ्रिज और जलपात्र उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में रखें।
- अनाज, मसाले और दालें दक्षिण या पश्चिम दिशा की अलमारी में रखें।
- रसोई में खिड़की जरूर रखें, और वह पूर्व या उत्तर दिशा में हो तो उत्तम।
- सिंक यानी बर्तन धोने की जगह उत्तर या उत्तर-पश्चिम में होनी चाहिए।
क्या न करें:
- रसोई को कभी भी ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में न बनाएं। यह दिशा देवताओं की होती है।
- चूल्हा और सिंक को एकदम पास न रखें। जल और अग्नि तत्व के टकराव से तनाव और विवाद बढ़ सकते हैं।
- रसोई के ऊपर या नीचे टॉयलेट नहीं होना चाहिए। इससे घर की ऊर्जा प्रभावित होती है।
- रसोई की दीवार टॉयलेट से सटी हुई न हो।
रसोई में चूल्हे की दिशा कैसी होनी चाहिए?

चूल्हा रसोई का केंद्र होता है और इसकी दिशा वास्तु में बहुत महत्व रखती है।
आग्नेय कोण में चूल्हा और पूर्व दिशा में मुख
चूल्हा आग्नेय कोण में होना चाहिए और खाना बनाते समय मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। यह संयोजन स्वास्थ्य, समृद्धि और पारिवारिक तालमेल के लिए शुभ माना गया है।
चूल्हे की सही जगह और दर्पण से बचाव
चूल्हा दीवार से थोड़ा दूर रखें और उसके सामने या बगल में कोई दर्पण या कांच न लगाएं। इससे ऊर्जा बिखरती है और भोजन का प्रभाव कमजोर होता है।
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रसोई में रंगों का वास्तु महत्व

रसोई में इस्तेमाल होने वाले रंग न केवल सौंदर्य बढ़ाते हैं, बल्कि मानसिक स्थिति और ऊर्जा को भी प्रभावित करते हैं।
सकारात्मक रंग:
- हल्का गुलाबी – शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण वातावरण के लिए
- हल्का पीला – ऊर्जा और उत्साह बढ़ाने वाला
- नारंगी – रचनात्मकता और प्रसन्नता के लिए
- क्रीम और बेज – संतुलन और स्थिरता लाने वाले
बचने योग्य रंग:
- गहरा नीला और काला – भारीपन और तनाव बढ़ा सकते हैं
- बहुत गहरे और उदास रंग – सकारात्मक ऊर्जा को अवरुद्ध कर सकते हैं
आधुनिक रसोई के लिए वास्तु सुझाव
आजकल की रसोई सिर्फ खाना पकाने की नहीं, बल्कि परिवार के साथ समय बिताने की भी जगह होती है। ऐसे में आधुनिक सेटअप में भी वास्तु का संतुलन जरूरी है।
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की सही दिशा
माइक्रोवेव, ओवन, टोस्टर आदि को दक्षिण या दक्षिण-पूर्व दिशा में रखें। इससे अग्नि तत्व संतुलित रहता है और उपकरण ठीक से कार्य करते हैं।
वेंटिलेशन और रोशनी
रसोई में खिड़की पूर्व या उत्तर दिशा में होनी चाहिए ताकि रोशनी और हवा का प्रवाह बना रहे। यह वातावरण को हल्का और सकारात्मक बनाए रखता है।
गैस सिलेंडर और गैजेट्स की सावधानी
गैस सिलेंडर को दक्षिण-पूर्व में रखें और लीक या अन्य दिक्कतों से बचने के लिए समय-समय पर जांच कराते रहें।
रसोई में शांति और सामंजस्य के उपाय
अगर आपकी रसोई वास्तु के अनुसार नहीं है, तो कुछ सरल उपाय करके आप इसके नकारात्मक प्रभाव को कम कर सकते हैं।
ऊर्जा शुद्धि के आसान उपाय
- उत्तर-पूर्व दिशा में तुलसी का पौधा रखें।
- रसोई में हर सुबह कपूर जलाएं।
- सफाई पर विशेष ध्यान दें, खासकर कोनों और सिंक के आसपास।
निष्कर्ष
रसोई न सिर्फ शरीर को पोषण देती है, बल्कि परिवार की ऊर्जा और सौहार्द का केंद्र भी होती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, अगर रसोई आग्नेय दिशा में है और उसमें चूल्हा पूर्व दिशा की ओर रखा गया है, तो यह सबसे शुभ माना जाता है।
अगर आपकी रसोई वास्तु नियमों के अनुसार नहीं बनी है, तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। कुछ छोटे उपाय और समझदारी भरे बदलाव करके आप नकारात्मकता को दूर कर सकते हैं और अपने घर को स्वास्थ्य, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा से भर सकते हैं।
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देवेंद्र शर्मा वेदिक कर्मकांड (Vedic Rituals) और आध्यात्मिक उपायों (Spiritual Remedies) में 12+ वर्षों का अनुभव रखते हैं। वे जीवन की समस्याओं (Life Challenges) का समाधान करने और आंतरिक शांति (Inner Peace) व संतुलन (Balance) प्राप्त करने के लिए सरल और प्रभावी सलाह प्रदान करते हैं।