दुर्गा सप्तशती का पाठ कैसे करें? : जानें विधि, नियम और शुभ समय

9 दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ कैसे करें? यह सवाल अक्सर नवरात्रि जैसे पवित्र अवसर पर भक्तों के मन में आता है। दुर्गा सप्तशती पाठ माँ दुर्गा की कृपा पाने का सबसे प्रभावशाली तरीका माना जाता है, लेकिन बहुत से लोग यह नहीं जानते कि इसे सही ढंग से 9 दिनों में कैसे पूरा करें।

अगर आप भी जानना चाहते हैं कि कौन-से अध्याय किस दिन पढ़ने हैं, किन नियमों का पालन करना जरूरी है, और पाठ के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए — तो आप बिलकुल सही जगह पर हैं।

इस लेख में हम आपको बहुत ही सरल भाषा में हर दिन का पूरा क्रम बताएंगे, साथ ही इससे जुड़े गहरे आध्यात्मिक महत्व और लाभ भी समझाएंगे। पढ़ते रहिए और जानिए कि माँ दुर्गा की विशेष कृपा पाने के लिए दुर्गा सप्तशती पाठ को कैसे पूर्ण करें।

9 दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ कैसे करें? (How to Recite Durga Saptashati Properly)

9 दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ कैसे करें?

नवरात्रि के 9 दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ एक विशेष विधि से किया जाता है, जिसमें हर दिन माँ दुर्गा के एक विशेष रूप की पूजा और संबंधित अध्यायों का पाठ शामिल होता है।

इसे “नवाह्निक पाठ” भी कहा जाता है, जिसमें सप्तशती के कुल 700 श्लोकों को नौ भागों में बाँटकर प्रतिदिन पाठ किया जाता है।

इस प्रक्रिया से पाठकर्ता को न केवल माँ की कृपा मिलती है, बल्कि मानसिक शांति, नकारात्मकता से मुक्ति और साधना में सिद्धि भी प्राप्त होती है।

यह पाठ सुबह या संध्या समय, शुद्धता और नियमपूर्वक किया जाना चाहिए। प्रत्येक दिन की शुरुआत माँ की पूजा और संकल्प लेकर होती है, फिर तय किए गए अध्यायों का पाठ किया जाता है।

इस क्रम में कुछ विशेष नियमों और मंत्रों का भी पालन जरूरी होता है, जो पाठ की प्रभावशीलता को बढ़ाते हैं।

दुर्गा सप्तशती पाठ का महत्व क्यों है इतना अधिक?

दुर्गा सप्तशती पाठ का महत्व क्यों है इतना अधिक?

दुर्गा सप्तशती, जिसे चंडी पाठ भी कहा जाता है, मार्कण्डेय पुराण से लिया गया एक दिव्य ग्रंथ है जिसमें कुल 700 श्लोक होते हैं।

इस पाठ में देवी दुर्गा के तीन शक्तिशाली रूपों — महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती — की महिमा और उनके द्वारा राक्षसों के वध की लीलाएं वर्णित हैं। यह ग्रंथ दर्शाता है कि कैसे मां ने असुरों से धरती और देवताओं की रक्षा की।

जो लोग जीवन में लगातार संघर्ष, मानसिक तनाव, रोग, आर्थिक समस्या, शत्रु बाधा या भय से घिरे रहते हैं, उनके लिए दुर्गा सप्तशती एक चमत्कारी साधन सिद्ध हो सकता है।

विशेषकर शारदीय नवरात्रि के नौ दिन इस पाठ को करने के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं, क्योंकि इन दिनों में देवी की ऊर्जा विशेष रूप से सक्रिय मानी जाती है।

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इस पवित्र पाठ को करते समय कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना बेहद आवश्यक है। यदि साधक इन नियमों का ध्यानपूर्वक पालन करे, तो उसे निश्चित ही मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है।

आइए, जानें वे मुख्य नियम जो दुर्गा सप्तशती पाठ करते समय ज़रूरी होते हैं:

1. पाठ का संकल्प और समय

पाठ शुरू करने से पहले मां दुर्गा के सामने संकल्प लें कि आप पूरे नियम और श्रद्धा से यह पाठ करेंगे। घटस्थापना (नवरात्रि का पहला दिन) से पाठ की शुरुआत करना उत्तम होता है।

2. वस्त्र और आसन का चुनाव

पाठ करते समय साफ, लाल रंग के वस्त्र पहनें और लाल आसन का प्रयोग करें। लाल रंग मां दुर्गा की ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक माना जाता है।

3. स्थान की पवित्रता

पाठ के लिए चुना गया स्थान साफ-सुथरा और शांत होना चाहिए। पूजा स्थान पर देवी मां की तस्वीर या मूर्ति रखें, उनके समक्ष दीपक और अगरबत्ती जलाएं।

4. पाठ की विधि और क्रम

दुर्गा सप्तशती का पाठ कवच, अर्गला और कीलक से शुरू करना अनिवार्य होता है। इसके बाद 13 अध्यायों का क्रमशः पाठ करें। समय की सुविधा के अनुसार इसे एक दिन में या नौ दिनों में पूर्ण किया जा सकता है।

5. उच्चारण और लय

पाठ करते समय स्पष्ट उच्चारण और लय का विशेष ध्यान रखें। जल्दबाजी न करें। प्रत्येक श्लोक का अर्थ समझते हुए उसे श्रद्धा से पढ़ें।

6. मौन और एकाग्रता

पाठ के दौरान मोबाइल या अन्य किसी चीज से ध्यान भटकने न दें। बीच में उठना, बात करना या खाने-पीने से बचें। एकाग्र चित्त से देवी की आराधना करें।

7. सात्विक जीवनशैली

इन दिनों ब्रह्मचर्य और पवित्रता का पालन करें। मांस, शराब, लहसुन, प्याज जैसे तामसिक भोजन से दूर रहें। मानसिक शुद्धता भी उतनी ही ज़रूरी है — ईर्ष्या, क्रोध, द्वेष जैसी नकारात्मक भावनाओं से बचें।

8. पाठ के बाद क्षमा प्रार्थना

पाठ पूर्ण होने पर मां से किसी भी त्रुटि या भूल के लिए क्षमा याचना करें और पूरे पाठ को श्रद्धा से मां को समर्पित करें।

दुर्गा सप्तशती पाठ से मिलने वाले प्रमुख लाभ

दुर्गा सप्तशती पाठ से मिलने वाले प्रमुख लाभ

जब कोई साधक पूरे नियम से दुर्गा सप्तशती का पाठ करता है, तो उसका जीवन सकारात्मक रूप से बदलने लगता है। यहां कुछ उदाहरण हैं कि यह पाठ किस प्रकार जीवन में चमत्कारी परिवर्तन ला सकता है:

पारिवारिक शांति: अगर घर में क्लेश और असंतोष बना रहता है, तो नियमित चंडी पाठ से वातावरण शांत और ऊर्जा से भर जाता है।

आर्थिक सुधार: आर्थिक तंगी, नौकरी में बाधा या व्यापार में नुकसान हो रहा हो तो दुर्गा सप्तशती पाठ से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और रास्ते खुलने लगते हैं।

मानसिक स्थिरता: डिप्रेशन, चिंता या भय से पीड़ित लोगों के लिए यह पाठ मानसिक शांति और आत्मविश्वास देता है।

शत्रु बाधा से मुक्ति: यदि कोई व्यक्ति बार-बार शत्रुओं से परेशान रहता है या कोर्ट-कचहरी के मामलों में उलझा है, तो यह पाठ उसे विजयी बनाने में सहायक होता है।

रोगों से राहत: रोगों से ग्रस्त व्यक्ति यदि श्रद्धा और संयम से इस पाठ को करे, तो उसे धीरे-धीरे स्वास्थ्य लाभ मिलता है।

पाठ करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

  • सिर्फ पाठ करना पर्याप्त नहीं है, कुछ अन्य बातें भी हैं जिनका ध्यान रखने से इसका प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है:
  • पाठ के बाद मां को फल, पुष्प या मिठाई का भोग जरूर लगाएं
  • घर के अन्य सदस्यों को प्रसाद या चरणामृत वितरित करें
  • प्रतिदिन एक ही स्थान और एक ही समय पर पाठ करने की आदत डालें
  • पाठ के दौरान देवी के नामों का जाप करना अतिरिक्त लाभ देता है जैसे – “जय चंडी”, “दुर्गे दुर्गति नाशिनी” आदि
  • पाठ के बाद “नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः” मंत्र का जाप करें जो इस पाठ की पूर्णता को दर्शाता है

निष्कर्ष

अगर आप जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और शक्ति चाहते हैं, तो शारदीय नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती पाठ अवश्य करें। यह सिर्फ एक धार्मिक कृत्य नहीं, बल्कि आत्मा को शुद्ध करने और मां की कृपा पाने का दिव्य साधन है।

जो लोग नवरात्र व्रत करते हैं या देवी उपासना में रुचि रखते हैं, उनके लिए यह पाठ एक अमोघ अस्त्र की तरह है जो हर संकट, रुकावट और दुख को हर सकता है।

अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और देवी के आशीर्वाद से भरने के लिए दुर्गा सप्तशती का नियमपूर्वक पाठ करें और अपने अनुभवों को दूसरों से भी साझा करें, ताकि यह दिव्य ज्ञान अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे।

FAQs

दुर्गा सप्तशती के कितने अध्याय पढ़ने चाहिए?

दुर्गा सप्तशती में कुल 13 मुख्य अध्याय होते हैं, जिन्हें तीन भागों में विभाजित किया गया है:
प्रथम चरित्र: 1 अध्याय – महाकाली की कथा (मधु-कैटभ वध)
मध्यम चरित्र: 10 अध्याय – महालक्ष्मी की कथा (महिषासुर वध)
उत्तर चरित्र: 1 अध्याय – महासरस्वती की कथा (शुम्भ-निशुम्भ वध)
इसके अलावा, पाठ से पहले अर्गला स्तोत्र, कीलक स्तोत्र, कवच और अंत में देवी सूक्त या आरती का पाठ भी शामिल किया जाता है। यदि पाठ संकल्पित है, तो सभी अध्यायों का पाठ करना आवश्यक माना जाता है।

घर पर दुर्गा सप्तशती का पाठ कैसे करें?

घर पर दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के लिए संयम, शुद्धता और श्रद्धा जरूरी है। संक्षेप में प्रक्रिया इस प्रकार है:
स्थान चयन: स्वच्छ और शांत वातावरण में पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
पूजन सामग्री: देवी की मूर्ति या चित्र, दीपक, फूल, अक्षत, जल, घी, अगरबत्ती रखें।
पाठ क्रम:
गणेश वंदना, संकल्प
दुर्गा कवच, अर्गला, कीलक
सप्तशती के 13 अध्याय
अंत में आरती और क्षमा प्रार्थना
समय: प्रातःकाल सूर्योदय के समय या संध्या को पाठ करना श्रेष्ठ माना जाता है।
नियम: पाठ के दौरान सात्विक आहार, संयम, ब्रह्मचर्य और साफ मन जरूरी होता है।

दुर्गा सप्तशती का किस दिन कौन सा पाठ करना चाहिए?

दुर्गा सप्तशती के पाठ को 9 दिनों के नवरात्रि में विशेष रूप से विभाजित कर किया जाता है। हर दिन एक विशिष्ट अध्याय या खंड पढ़ने की परंपरा है:
प्रतिपदा (1 दिन): प्रथम चरित्र (प्रथम अध्याय)
द्वितीया से सप्तमी (2 से 7 दिन): मध्यम चरित्र (अध्याय 2 से 13 तक) को रोज़ थोड़े-थोड़े भागों में विभाजित करके पढ़ा जाता है
अष्टमी (8 दिन): उत्तर चरित्र (14वां अध्याय)
नवमी (9 दिन): सम्पूर्ण सप्तशती का समापन पाठ और देवी की विशेष पूजा
कुछ भक्त प्रतिदिन संपूर्ण पाठ भी करते हैं, जिसे एकसप्ताहिक पाठ कहते हैं, जबकि कुछ नवदुर्गा पाठ विधि के अनुसार एक-एक दिन में चरणबद्ध तरीके से पाठ करते हैं।

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