सावन के सोमवार में पूजा कैसे करनी चाहिए? यह सवाल हर शिवभक्त के मन में जरूर आता है, खासकर उन लोगों के लिए जो पहली बार यह व्रत करने जा रहे हैं।
सावन का पवित्र महीना भगवान शिव की भक्ति के लिए सबसे उत्तम समय माना जाता है, और सोमवार को की गई पूजा विशेष फलदायी होती है।
लेकिन सही तरीके से पूजा कैसे करें? कौन-कौन सी सामग्री की ज़रूरत होती है? और किन मंत्रों का जाप सबसे प्रभावी होता है?
यदि आप भी इन बातों को जानना चाहते हैं और अपनी पूजा को और भी सफल और मनोकामनापूर्ण बनाना चाहते हैं, तो आगे दिए गए सरल और उपयोगी सुझावों को ज़रूर पढ़ें।
यह लेख आपको हर छोटी-बड़ी बात बताएगा जिससे आपकी सावन सोमवार की पूजा पूरी श्रद्धा और विधिपूर्वक संपन्न हो सके।
सावन के सोमवार में पूजा कैसे करनी चाहिए? (How to Perform Puja on Sawan Mondays)

सावन के सोमवार में पूजा कैसे करनी चाहिए? इस सवाल का उत्तर जानना इसलिए जरूरी है क्योंकि सावन में की गई पूजा अगर विधिपूर्वक की जाए तो भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।
पूजा की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और शिव का ध्यान करके की जाती है। फिर शिवलिंग पर जल या पंचामृत से अभिषेक किया जाता है, साथ ही बेलपत्र, धतूरा, सफेद पुष्प और भस्म अर्पित किए जाते हैं।
मंत्रों का जाप, शिव चालीसा का पाठ और व्रत कथा पढ़ना भी पूजा का अहम हिस्सा होता है।
पूरी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और सावधानियों से जुड़ी जानकारी के लिए आगे दिए गए भाग में विस्तार से पढ़ें, जिससे आपकी पूजा पूरी तरह सफल हो सके।
सावन सोमवार 2025 की तिथि और विशेष शुभ मुहूर्त
वर्ष 2025 में सावन का पहला सोमवार व्रत 14 जुलाई को रखा जाएगा। यही दिन गजानन संकष्टी चतुर्थी भी है, जिससे इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।
पंचांग के अनुसार, सावन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 14 जुलाई को रात 01:02 बजे शुरू होगी और उसी रात 11:59 बजे समाप्त होगी। इस दिन भगवान शिव के जलाभिषेक और पूजा के लिए कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं:
- ब्रह्म मुहूर्त (04:11 – 04:52 AM): ध्यान, जाप और शिव साधना के लिए सर्वोत्तम समय।
- विजय मुहूर्त (02:45 – 03:40 PM): सफलतापूर्वक कार्य आरंभ करने हेतु उत्तम काल।
- गोधूलि मुहूर्त (07:20 – 07:40 PM): संध्या आरती के लिए विशेष शुभ समय।
- निशीथ काल (12:07 – 12:48 AM): रुद्राभिषेक, शिव ध्यान और तांत्रिक साधना के लिए प्रभावशाली।
इन मुहूर्तों में से किसी एक का चयन कर शिवलिंग पर जल चढ़ाना, पंचामृत से अभिषेक करना और मंत्र जाप करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है।
सावन सोमवार व्रत का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
सावन सोमवार का व्रत शिवभक्तों के लिए आत्मिक शुद्धि और जीवन की बाधाओं से मुक्ति दिलाने वाला पर्व है। यह व्रत न केवल विवाह, संतान और सुख-सौभाग्य के लिए लाभकारी है, बल्कि यह साधना, संयम और सेवा की भावना को भी बढ़ावा देता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सावन मास जल तत्व प्रधान होता है, जिससे मन और चित्त शुद्ध होते हैं। यह चंद्र ऊर्जा के प्रभाव को भी संतुलित करता है, जिससे मानसिक तनाव कम होता है और आध्यात्मिक उन्नति होती है।
सावन सोमवार व्रत की सरल और प्रभावशाली पूजा विधि

व्रत के दिन पूजा विधि का पालन पूरी श्रद्धा और नियम से करना चाहिए। पूजा करने से पहले अपने स्थान को शुद्ध करें और मन को एकाग्र करें। इस पूजन विधि में निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
- प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ सफेद या हल्के रंग के वस्त्र धारण करें।
- सूर्य देव को जल अर्पित करें और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- मंदिर या पूजा स्थल की सफाई कर गंगाजल से शुद्ध करें और देसी घी का दीपक जलाएं।
- शिवलिंग पर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) और गंगाजल से अभिषेक करें।
- बेलपत्र, धतूरा, सफेद पुष्प, भस्म, चंदन और अक्षत अर्पित करें।
- मंत्र जाप करें – जैसे “ॐ नमः शिवाय”, “महामृत्युंजय मंत्र” और “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे” कम से कम 108 बार।
- शिव चालीसा पढ़ें और व्रत कथा का श्रवण करें या पढ़ें।
- अंत में भोग लगाएं, आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
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सावन में क्या करें और क्या नहीं करें?
इस पवित्र महीने में केवल व्रत रखना ही नहीं, बल्कि अपने आचरण और जीवनशैली में भी बदलाव लाना जरूरी है। सावन में संयम, सादगी और सद्भाव का पालन करना शिव कृपा प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है।
क्या करें:
- हर सोमवार व्रत रखें और शिवलिंग पर जल या पंचामृत चढ़ाएं।
- “ॐ नमः शिवाय” का नियमित जाप करें।
- बेलपत्र और सफेद फूलों से भगवान शिव की पूजा करें।
- दान-पुण्य करें, खासकर जरूरतमंदों को वस्त्र या अन्न दें।
- अपने विचारों को शुद्ध रखें और सकारात्मक सोच अपनाएं।
क्या न करें:
- मांस-मदिरा, लहसुन-प्याज जैसे तामसिक पदार्थों का सेवन न करें।
- काले रंग के वस्त्र से परहेज करें क्योंकि इसे अशुभ माना गया है।
- क्रोध, निंदा, झूठ और वाद-विवाद से बचें।
- व्रत के नियम तोड़ने से पूजा निष्फल हो सकती है।
सावन सोमवार से जुड़ी पौराणिक कथा
शिव पुराण के अनुसार, समुद्र मंथन के समय जब कालकूट विष निकला तो भगवान शिव ने संपूर्ण ब्रह्मांड की रक्षा के लिए उसे पी लिया।
इससे उनका कंठ नीला हो गया और वे ‘नीलकंठ’ कहलाए। यह घटना सावन मास में हुई थी, इसीलिए यह महीना शिव को अत्यंत प्रिय माना गया है।
इस दौरान जलाभिषेक, शिव नामस्मरण और मंत्र जाप करने से जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
सावन सोमवार व्रत के लाभ

1. विवाह में बाधा दूर होती है: जैसे कि रीना ने लगातार 5 सावन सोमवार व्रत किए और उनके विवाह में आ रही अड़चनें स्वतः समाप्त हो गईं।
2. स्वास्थ्य लाभ मिलता है: बेलपत्र अर्पण और शिव मंत्रों का जाप करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है।
3. संतान सुख प्राप्त होता है: कई दंपतियों ने रुद्राभिषेक कर शिव कृपा से संतान प्राप्ति का सुख पाया।
शिवभक्तों के लिए उपयोगी सुझाव
हर सोमवार शिव मंदिर जाकर शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाएं और “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे” का 108 बार जाप करें।
रुद्राक्ष की माला धारण करें और संयमित दिनचर्या अपनाएं।
कांवड़ यात्रा करके गंगाजल लाएं और शिवलिंग पर चढ़ाएं – यह विशेष पुण्य प्रदान करता है।
निष्कर्ष
सावन सोमवार 2025 का व्रत और पूजा विधि केवल धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि यह जीवन की शुद्धि, मानसिक संतुलन और शिव कृपा प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम है।
14 जुलाई 2025 को आने वाले पहले सावन सोमवार के शुभ दिन पर यदि आप पूरी श्रद्धा, नियम और विधि से व्रत करेंगे, तो निश्चित ही भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होगी।
यह मास आपके जीवन को आध्यात्मिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने का अवसर है। शिव की भक्ति, संयम और सेवा के साथ यह सावन आपके लिए नई शुरुआत का प्रतीक बन सकता है।
सावन के पहले सोमवार को शिव जी को क्या चढ़ाना चाहिए?
सावन के पहले सोमवार को भगवान शिव को गंगाजल, बेलपत्र, धतूरा, भस्म, भांग, सफेद फूल, चंदन, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से तैयार पंचामृत चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है। इसके साथ ही “ॐ नमः शिवाय” या “महामृत्युंजय मंत्र” का जाप करते हुए शिवलिंग पर जलाभिषेक करना महादेव को अत्यंत प्रिय होता है। श्रद्धा और पवित्रता से अर्पित की गई ये वस्तुएं मनोकामनाओं की पूर्ति का मार्ग खोलती हैं।
घर पर सावन में शिव पूजा कैसे करें?
घर पर सावन में शिव पूजा करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें और स्वच्छ सफेद या हल्के रंग के वस्त्र पहनें। घर के मंदिर या पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें। फिर शिवलिंग पर जल या पंचामृत से अभिषेक करें। बेलपत्र, धतूरा, अक्षत, और भस्म अर्पित करें। इसके बाद “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जाप करें और शिव चालीसा या व्रत कथा का पाठ करें। अंत में फल और मिठाई का भोग लगाकर आरती करें और प्रसाद वितरित करें। घर पर पूजा करते समय नियम, संयम और श्रद्धा का विशेष ध्यान रखें।
सोमवार के व्रत में क्या-क्या नियम होते हैं?
सोमवार व्रत के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन करना जरूरी होता है:
व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
दिनभर सात्विक रहें और मांस-मदिरा, लहसुन-प्याज, और तामसिक भोजन से दूर रहें।
क्रोध, झूठ, निंदा और वाद-विवाद से बचें।
केवल एक बार फलाहार करें या जल व्रत रखें (शक्ति अनुसार)।
दिनभर शिवजी का ध्यान करें, मंत्र जाप करें और शाम को पूजा के बाद आरती करें।
इन नियमों का पालन करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है और भगवान शिव की कृपा भी जल्दी मिलती है।

विजय वर्मा वैदिक ज्योतिष (Vedic Astrology) और रत्न विज्ञान (Gemstone Science) में 20+ वर्षों का अनुभव रखते हैं। उन्होंने 10,000 से अधिक कुंडलियों (Horoscopes) का विश्लेषण किया है और व्यक्तिगत व पेशेवर उन्नति के लिए सटीक मार्गदर्शन प्रदान किया है। उनका अनुभव उन्हें एक भरोसेमंद ज्योतिष विशेषज्ञ बनाता है।