आभामंडल के कितने प्रकार हैं, यह जानें और इनके विभिन्न रंगों और उनके गहरे आध्यात्मिक अर्थों को समझें। हमारे आभामंडल (औरा) के सात स्तर होते हैं, जो हमारे शरीर, मन और आत्मा की ऊर्जा को संतुलित रखते हैं। इन स्तरों के माध्यम से हम अपने स्वास्थ्य, भावनाओं और मानसिक स्थिति को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।
जब ये सात स्तर संतुलित होते हैं, तो व्यक्ति आत्मविश्वासी, शांत और सकारात्मक महसूस करता है। आइए Aura के कितने प्रकार हैं? विस्तार से समझें और जानें कि उन्हें कैसे सशक्त बनाया जा सकता है।
आभामंडल के कितने प्रकार हैं? (How Many Types of Auras Are There?)
औरा मुख्य रूप से सात प्रकार के होते हैं, जो हमारे शरीर, मन और भावनाओं के अलग-अलग पहलुओं को दर्शाते हैं। ये प्रकार हैं—शारीरिक (Physical), महत्वपूर्ण (Vital), एस्ट्रल (Astral), कम मानसिक (Lower Mental), उच्च मानसिक (Higher Mental), आध्यात्मिक (Spiritual) और अंतर्ज्ञान स्तर (Intuitive)।
हर प्रकार का औरा हमारे विचारों, भावनाओं और ऊर्जा के प्रवाह को दर्शाता है। इन सात स्तरों में संतुलन बनाए रखना हमारे मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी होता है।
1. शारीरिक स्तर (Physical Level)
शारीरिक स्तर हमारे शरीर की ऊर्जा, सहनशक्ति और स्वास्थ्य से जुड़ा होता है। यह स्तर हमारे दैनिक कार्यों को करने की क्षमता को प्रभावित करता है। जब यह स्तर मजबूत होता है, तो व्यक्ति स्वस्थ, सक्रिय और ऊर्जावान रहता है। असंतुलित स्थिति में व्यक्ति थकावट, कमजोरी और शारीरिक असहजता महसूस कर सकता है।
उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति नियमित रूप से योग, व्यायाम और संतुलित आहार अपनाता है, तो उसका शारीरिक स्तर मजबूत रहता है। वहीं, अधिक तला-भुना भोजन, अनियमित दिनचर्या और शारीरिक गतिविधियों की कमी इस स्तर को कमजोर कर सकती है।
2. महत्वपूर्ण स्तर (Vital Level)
महत्वपूर्ण स्तर हमारी तर्कसंगत सोच और समस्याओं को समझने की क्षमता को दर्शाता है। यह स्तर मानसिक स्पष्टता और निर्णय लेने की शक्ति प्रदान करता है। जब यह स्तर संतुलित होता है, तो व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में सही निर्णय ले सकता है और अपने विचार स्पष्ट रूप से व्यक्त कर सकता है।
असंतुलन की स्थिति में व्यक्ति भ्रमित और अनिश्चित महसूस करता है। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति तनाव में हो, तो उसे अपनी समस्याओं का हल ढूंढने में कठिनाई होती है। नियमित ध्यान और सकारात्मक सोच इस स्तर को सशक्त बनाते हैं।
3. एस्ट्रल स्तर (Astral Level)
एस्ट्रल स्तर हमारे भावनात्मक संबंधों और परस्पर प्रेम की भावना को दर्शाता है। यह स्तर परिवार, दोस्तों और प्रियजनों के साथ भावनात्मक जुड़ाव को बनाए रखने में मदद करता है। जब यह स्तर मजबूत होता है, तो व्यक्ति सहानुभूति, करुणा और प्रेम से भरा होता है।
असंतुलित स्थिति में व्यक्ति अकेलापन, अविश्वास और भावनात्मक अस्थिरता महसूस कर सकता है। इस स्तर को मजबूत बनाने के लिए कृतज्ञता का अभ्यास करें और अपने प्रियजनों के साथ समय बिताएं।
4. कम मानसिक स्तर (Lower Mental Level)
कम मानसिक स्तर व्यक्ति की ईमानदारी, सच्चाई और आत्म-अभिव्यक्ति को दर्शाता है। यह स्तर हमें अपने विचारों और भावनाओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने में मदद करता है।
संतुलित रहने पर व्यक्ति अपने विचारों में सच्चाई और स्पष्टता रखता है। असंतुलन होने पर व्यक्ति झूठ बोलने या खुद के प्रति ईमानदार न होने की प्रवृत्ति रख सकता है। यह स्तर मजबूत हो, इसके लिए नियमित आत्मचिंतन और सकारात्मक संवाद करना जरूरी है।
5. उच्च मानसिक स्तर (Higher Mental Level)
यह स्तर दिव्य प्रेम, शांति और आध्यात्मिक ज्ञान से जुड़ा होता है। यह हमें आत्मिक शांति और जीवन के उद्देश्य को समझने में मदद करता है। जब यह स्तर संतुलित होता है, तो व्यक्ति को अपने जीवन में स्थिरता और संतुष्टि महसूस होती है।
यदि यह स्तर कमजोर हो जाए, तो व्यक्ति असंतोष, आंतरिक अशांति और जीवन में उद्देश्य की कमी महसूस कर सकता है। इसके लिए ध्यान, प्रार्थना और अध्यात्मिक चिंतन करना आवश्यक है।
6. आत्म-स्वीकृति स्तर (Spiritual Intuitive Level)
यह स्तर आत्म-स्वीकृति और आत्म-प्रेम का प्रतीक है। जब यह स्तर सशक्त होता है, तो व्यक्ति खुद को सहजता से स्वीकार करता है और आत्मसम्मान से भरपूर रहता है।
असंतुलित स्थिति में व्यक्ति आत्म-संदेह, निराशा और हीनभावना से ग्रसित हो सकता है। आत्म-स्वीकृति के लिए अपने गुणों को पहचानें और खुद पर गर्व करें।
7. आध्यात्मिक स्तर (Spiritual Level)
यह स्तर व्यक्ति के दिव्य ज्ञान और सार्वभौमिक सत्य को समझने की क्षमता को दर्शाता है। यह हमें ब्रह्मांडीय ऊर्जा के साथ जुड़ने में मदद करता है और आत्मज्ञान का अनुभव कराता है।
जब यह स्तर संतुलित होता है, तो व्यक्ति खुद को ब्रह्मांड के साथ एकरूप महसूस करता है। असंतुलन की स्थिति में व्यक्ति असुरक्षित और अनिश्चित महसूस कर सकता है।
औरा को मजबूत और शुद्ध करने के उपाय
आभामंडल को संतुलित और सकारात्मक बनाए रखने के लिए निम्नलिखित उपाय प्रभावी हो सकते हैं:
- ध्यान और प्राणायाम: “ओम” का जप और अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें।
- ऊर्जा स्नान: वायु स्नान और अग्नि स्नान का अभ्यास करें।
- सकारात्मक संगति: प्रेरणादायक लोगों के साथ समय बिताएं।
- प्राकृतिक संपर्क: बगीचे में टहलें या पेड़ों के पास ध्यान करें।
- हवन और मंत्रोच्चार: नियमित रूप से घर में हवन करें और “गायत्री मंत्र” का उच्चारण करें।
औरा को देखना कैसे सीखें
औरा को देखना और समझना एक अद्भुत अनुभव हो सकता है, जिससे हम किसी व्यक्ति की भावनाओं, विचारों और ऊर्जा स्तर का अंदाजा लगा सकते हैं। हालांकि इसे सीखने में समय और अभ्यास लगता है, लेकिन सही तकनीकों के माध्यम से आप अपने आसपास के लोगों और स्वयं के आभामंडल को देख और महसूस कर सकते हैं।
औरा को देखना हमें अपने जीवन में न केवल सकारात्मक बदलाव लाने में मदद करता है, बल्कि हमें अपनी और दूसरों की ऊर्जा को भी बेहतर तरीके से समझने का अवसर देता है। आइए जानें कि औरा को देखने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और किन तरीकों को अपनाना चाहिए।
1. संवेदनाओं पर ध्यान दें
औरा देखने की पहली शुरुआत हमारी संवेदनाओं को समझने से होती है। जब आप किसी व्यक्ति के पास होते हैं, तो यह महसूस करने की कोशिश करें कि उसकी उपस्थिति आपके मन और शरीर पर कैसा प्रभाव डालती है।
क्या आपको उस व्यक्ति के पास शांति महसूस होती है या आप बेचैनी का अनुभव करते हैं? हमारी संवेदनाएं हमें इस बात का संकेत देती हैं कि सामने वाले व्यक्ति का आभामंडल कैसा है।
उदाहरण के लिए, जब आप किसी प्रेरणादायक व्यक्ति के पास बैठते हैं, तो आपको सुकून और सकारात्मकता महसूस होती है। वहीं, नकारात्मक सोच वाले व्यक्ति के पास बैठने पर मन अशांत हो सकता है। यह ऊर्जा क्षेत्र के प्रभाव को समझने की पहली सीढ़ी है।
2. पेरीफेरल दृष्टि का अभ्यास करें
औरा को देखने के लिए सीधे किसी व्यक्ति को देखने की बजाय अपनी कोर विज़न (आंखों के किनारे की दृष्टि) का उपयोग करें। सीधे देखने पर अक्सर हम केवल भौतिक रूप को देख पाते हैं, जबकि आंखों के किनारे से देखने पर ऊर्जा का हल्का आभास होता है।
अभ्यास के लिए आप शांत कमरे में बैठें और अपने हाथों को आपस में रगड़ें। फिर अपने हाथों को धीरे-धीरे अलग करें और देखें कि क्या आप उनके बीच हल्की ऊर्जा की रेखा देख पा रहे हैं। इसे नियमित रूप से करने पर आप अपने और दूसरों के चारों ओर हल्के रंगों को देखना शुरू कर सकते हैं।
3. रंग पहचानने का प्रयास करें
औरा को समझने के लिए रंगों को पहचानना बेहद जरूरी है। हर व्यक्ति के आभामंडल में अलग-अलग रंग होते हैं, जो उसकी मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्थिति को दर्शाते हैं।
अभ्यास के लिए किसी सफेद दीवार के सामने बैठें और एक व्यक्ति को शांत मुद्रा में बैठने के लिए कहें। अब अपनी कोर दृष्टि का उपयोग करते हुए दीवार और व्यक्ति के बीच हल्के रंगों को देखने की कोशिश करें।
शुरुआत में आपको हल्का सफेद या नीला रंग दिखाई दे सकता है, लेकिन धीरे-धीरे और अभ्यास के साथ आप अन्य रंगों को भी देख पाएंगे।
4. ध्यान और एकाग्रता का अभ्यास करें
औरा को देखने के लिए ध्यान और एकाग्रता बेहद जरूरी है। ध्यान हमारे मन को शांत और केंद्रित करता है, जिससे ऊर्जा को महसूस करना आसान हो जाता है।
रोजाना 10-15 मिनट का ध्यान करें। इसके लिए एक शांत जगह पर बैठें, गहरी सांस लें और अपनी ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करें। अपने आसपास की ऊर्जा को महसूस करें और अपनी आंखों को हल्का बंद रखते हुए अपने शरीर के चारों ओर मौजूद आभामंडल की कल्पना करें। यह अभ्यास आपकी संवेदनशीलता को बढ़ाता है और औरा देखने की क्षमता को विकसित करता है।
5. स्वयं पर अभ्यास करें
औरा को देखने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप खुद पर अभ्यास करें। एक शांत कमरे में दर्पण के सामने खड़े हों और हल्की रोशनी में अपनी आंखों को बंद करके अपने चारों ओर की ऊर्जा को महसूस करें। अब धीरे-धीरे अपनी आंखें खोलें और ध्यान दें कि क्या आप अपने शरीर के चारों ओर हल्के रंग देख पा रहे हैं।
यह अभ्यास आपको अपनी आभा को समझने में मदद करेगा और धीरे-धीरे आपकी यह क्षमता बढ़ेगी। अपने अनुभवों को एक डायरी में लिखें, ताकि आप यह समझ सकें कि आपकी प्रगति कैसी हो रही है।
6. सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास बनाए रखें
औरा को देखने की प्रक्रिया में धैर्य और आत्मविश्वास बहुत जरूरी है। कभी-कभी शुरुआत में यह मुश्किल लग सकता है, लेकिन सकारात्मक सोच और निरंतर अभ्यास से आप इसमें कुशल हो सकते हैं। नकारात्मक सोच से बचें और खुद पर विश्वास रखें कि आप इस कला को सीख सकते हैं।
7. रचनात्मक अभ्यास और आत्म-अवलोकन
अपने आस-पास के पेड़-पौधों और पालतू जानवरों पर भी औरा देखने का प्रयास करें। प्रकृति के जीवों का आभामंडल भी बहुत शुद्ध होता है और इसे देखना अपेक्षाकृत आसान होता है। इसके अलावा, जब आप शांत समय बिताएं, तो आत्म-चिंतन करें और महसूस करें कि आपकी ऊर्जा कैसी है।
निष्कर्ष
औरा को देखना और समझना एक अद्भुत अनुभव है, जो हमें आत्म-जागरूकता और दूसरों के प्रति करुणा का एहसास कराता है। इसे देखने के लिए ध्यान, एकाग्रता और सकारात्मक सोच का अभ्यास करना जरूरी है।
नियमित अभ्यास से आप अपने चारों ओर की ऊर्जा को न केवल देख सकते हैं, बल्कि समझ सकते हैं कि किस तरह से इसे शुद्ध और मजबूत बनाया जा सकता है। जब आप औरा को देखना सीख जाते हैं, तो आप अपने जीवन में बेहतर संतुलन और सकारात्मकता ला सकते हैं।
FAQs
शरीर का औरा क्या होता है?
शरीर का औरा एक ऊर्जा क्षेत्र है, जो व्यक्ति के चारों ओर फैला होता है। इसे ऊर्जा का घेरा या आभामंडल भी कहते हैं। यह हमारे शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को दर्शाता है। जब किसी व्यक्ति का औरा मजबूत और उज्ज्वल होता है, तो वह मानसिक रूप से सकारात्मक और शारीरिक रूप से ऊर्जावान महसूस करता है। वहीं, औरा का कमजोर होना थकान, नकारात्मकता और बीमारियों का संकेत हो सकता है।
अपना औरा कैसे देखें?
अपना औरा देखने के लिए ध्यान और आत्मचिंतन की आवश्यकता होती है। यहां कुछ सरल तरीके दिए गए हैं:
एक शांत कमरे में आराम से बैठें और हल्की रोशनी का उपयोग करें।
अपने हाथों को आपस में रगड़ें और धीरे-धीरे अलग करें।
ध्यान दें कि उंगलियों के बीच एक हल्का ऊर्जा घेरा या रंगीन हलचल महसूस होती है।
इसके अलावा, नियमित ध्यान और प्राणायाम के अभ्यास से भी औरा को महसूस करना और देखना संभव हो सकता है।
अपनी आभा को कैसे साफ करें?
अपनी आभा को साफ करने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाएं:
ध्यान और प्राणायाम करें: अनुलोम-विलोम और “ओम” मंत्र जप करें।
ऊर्जा स्नान: ताजी हवा में समय बिताएं और हल्का स्नान करें।
प्राकृतिक तत्वों से जुड़ें: नदी किनारे टहलें या हवन करें।
आभार प्रकट करें: कृतज्ञता का अभ्यास करें, क्योंकि सकारात्मक सोच और आभार आभा को शुद्ध करता है।
औरा कौन है?
“औरा” एक ऊर्जा क्षेत्र है, जो हर व्यक्ति के चारों ओर होता है। यह किसी व्यक्ति की आंतरिक ऊर्जा, विचारों और भावनाओं को दर्शाता है। औरा को समझकर हम किसी के मनोभाव, शारीरिक स्थिति और मानसिक स्थिति का अनुमान लगा सकते हैं। विज्ञान में इसे “इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड” कहा जाता है।
औरा का अर्थ क्या होता है?
औरा का अर्थ है “ऊर्जा का प्रकाशमंडल” या “आभामंडल”। यह एक प्रकार का सूक्ष्म ऊर्जा क्षेत्र है, जो व्यक्ति के आसपास फैलता है। इसका रंग और चमक व्यक्ति की ऊर्जा और भावनात्मक स्थिति के अनुसार बदलता है। सकारात्मक ऊर्जा के साथ यह चमकीला और हल्का होता है, जबकि नकारात्मकता से यह धुंधला और गहरा हो सकता है।
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विजय वर्मा वैदिक ज्योतिष (Vedic Astrology) और रत्न विज्ञान (Gemstone Science) में 20+ वर्षों का अनुभव रखते हैं। उन्होंने 10,000 से अधिक कुंडलियों (Horoscopes) का विश्लेषण किया है और व्यक्तिगत व पेशेवर उन्नति के लिए सटीक मार्गदर्शन प्रदान किया है। उनका अनुभव उन्हें एक भरोसेमंद ज्योतिष विशेषज्ञ बनाता है।