होलिका दहन भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो प्रत्येक वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और नकारात्मकता से मुक्ति पाने का भी अवसर है।
होलिका दहन के दौरान विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, जो घर में सुख, शांति और समृद्धि लाने के लिए मान्य हैं। साथ ही, यह त्योहार राक्षस राजा हिरण्यकश्यप और उनके भक्त प्रह्लाद की कथा से जुड़ा हुआ है, जिससे यह त्यौहार और भी अधिक महत्वपूर्ण बन जाता है।
होलिका दहन का दिन न केवल पारंपरिक पूजा का समय है, बल्कि यह हमें जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए कई अच्छे उपाय भी बताता है।
इस लेख में हम आपको बताएंगे कि होलिका दहन के दिन कौन से कार्य करने चाहिए, क्या विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं, और इस दिन क्या नहीं करना चाहिए, ताकि आप इस पवित्र पर्व का सही तरीके से पालन कर सकें और इसके लाभ प्राप्त कर सकें।
होलिका दहन 2025: जानें तारीख, शुभ मुहूर्त और इसका धार्मिक महत्व (Holika Dahan 2025: Date, Time and Significance)
होलिका दहन 2025 इस बार 13 मार्च को मनाया जाएगा, जो फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है और होली से एक दिन पहले किया जाता है। इस दिन रात को होलिका का दहन कर बुराइयों को जलाया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष पूर्णिमा तिथि 13 मार्च को सुबह 10:35 से शुरू होकर 14 मार्च दोपहर 12:24 तक रहेगी।
हालांकि, इस बार भद्रा काल की उपस्थिति के कारण होलिका दहन के समय को लेकर विशेष सावधानी बरतनी होगी। भद्रा काल 13 मार्च को रात 11:29 बजे तक रहेगा और इसके बाद ही दहन करना शुभ माना गया है। होलिका दहन का श्रेष्ठ समय रात 11:30 से लेकर 1:04 बजे तक है।
वहीं, होली पूजन के लिए सुबह 10:35 बजे से शुभ समय शुरू होता है, लेकिन राहुकाल (1:30 PM से 3:00 PM) में पूजा करने से बचना चाहिए। इस अवसर पर सही मुहूर्त में पूजा और दहन करने से सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति मानी जाती है।

होलिका दहन 2025 का महत्व ज्योतिषीय दृष्टिकोण से और भी अधिक खास है। इस दिन का प्रभाव ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति पर निर्भर करता है, जो हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।
होलिका दहन का दिन एक महत्वपूर्ण मोड़ होता है, क्योंकि यह होलाष्टक की समाप्ति के साथ जुड़ा हुआ है, जिसके बाद शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। ज्योतिष के अनुसार, इस दिन ग्रहों की स्थिति और उनके प्रभावों में बदलाव आता है, जो जीवन में नई संभावनाओं और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।
होलिका दहन के दौरान किए गए अनुष्ठान और उपाय ग्रहों के सही संतुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं और व्यक्ति की किस्मत को सकारात्मक दिशा में मोड़ सकते हैं।
2025 में होलिका दहन का समय विशेष रूप से शुभ माना जा रहा है, जिससे इस दिन किए गए उपायों का प्रभाव अधिक मजबूत और फलदायी हो सकता है।
इस दिन विशेष रूप से मंगल, शनि और बृहस्पति के ग्रहों के प्रभाव पर ध्यान दिया जाता है, क्योंकि इन ग्रहों का संबंध हमारी मेहनत, सफलता और जीवन में संतुलन से है। इन ग्रहों की स्थिति और उनके अनुकूल होने पर जीवन में सकारात्मक परिवर्तन हो सकते हैं।
होलिका दहन 2025 में किए गए उपाय, जैसे पूजा, व्रत और विशेष अनुष्ठान, इन ग्रहों की दिशा को बदलने में सहायक हो सकते हैं, जिससे मानसिक शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
होलिका दहन के दिन क्या करें
होलिका दहन के दिन कुछ खास धार्मिक अनुष्ठान होते हैं, जिन्हें करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। यहां जानें वे खास बातें जो आपको इस दिन जरूर करनी चाहिए।

होलिका पूजा करें
होलिका दहन के दिन सबसे पहले होलिका पूजा करनी चाहिए। यह पूजा शुभ मुहूर्त में की जाती है, ताकि दिन की शुरुआत शुभ हो। पूजा में सरसों, तिल, गोबर के 11 उपले, अक्षत, चीनी, गेहूं के दाने और गेहूं की 7 बालियां शामिल की जाती हैं।
इसके बाद, 7 परिक्रमा करनी चाहिए और जल अर्पित करके दान करना भी शुभ होता है। साथ ही, घर की उत्तर दिशा में घी का दीपक जलाना चाहिए। यह उपाय घर में सुख-शांति और समृद्धि लाता है।
व्रत रखना
होलिका दहन के दिन व्रत रखना एक महत्वपूर्ण परंपरा है। यह व्रत घर में शांति और समृद्धि लाने के लिए किया जाता है। व्रत से मानसिक शांति मिलती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
अगर आप व्रत रखते हैं तो यह जीवन में हर तरह की शुभता और समृद्धि का कारण बन सकता है। इस दिन कुछ विशेष उपाय भी किए जाते हैं, जिनसे व्रत का प्रभाव और बढ़ जाता है।
होलिका दहन की परिक्रमा
होलिका दहन के समय होलिका की परिक्रमा करनी चाहिए। यह परिक्रमा नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने और शुभ ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए की जाती है।
परिक्रमा करते समय ध्यान रखें कि आपके मन और विचार शुद्ध हों, ताकि पूजा का प्रभाव अधिकतम हो सके। इस प्रक्रिया से घर में नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।
राख का उपयोग
होलिका दहन के बाद राख का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। राख को एक चांदी की डिब्बी में रखकर घर के विभिन्न स्थानों पर रखना चाहिए।
इस राख में कुछ जौ और गेहूं की बालियां डालें, इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। इसे घर के पूजा स्थान या घर के कोनों में रखें, जिससे पूरे घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है।
सरसों और तिल का उबटन
होलिका दहन की शाम, परिवार के सभी सदस्य सरसों और तिल का उबटन करते हैं। यह उबटन शरीर की सारी गंदगी और नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकालने के लिए किया जाता है।
उबटन के बाद, जो मैल निकलती है, उसे होलिका की आग में डाल देना चाहिए। यह माना जाता है कि इससे घर की सारी समस्याएं दूर हो जाती हैं और खुशियां आती हैं। यह एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जो परिवार की भलाई के लिए की जाती है।
होलिका दहन के दिन क्या न करें
जहां होलिका दहन के दिन कुछ शुभ कार्य किए जाते हैं, वहीं कुछ कार्यों से बचना चाहिए। इन्हें न करने से घर में नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। आइए जानें वे विशेष बातें जो इस दिन नहीं करनी चाहिए।

उधार न दें
होलिका दहन के दिन उधार देना मना है। यह मान्यता है कि इस दिन उधार देने से घर में दरिद्रता और आर्थिक संकट आ सकता है। इसलिए इस दिन किसी को उधार देना या लेना शुभ नहीं माना जाता है। होलिका दहन के दिन, आर्थिक लेन-देन से बचना चाहिए।
काले और सफेद रंग के कपड़े न पहनें
होलिका पूजा करते समय काले और सफेद रंग के कपड़े पहनने से बचें। ये रंग नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने वाले माने जाते हैं। इस दिन पीले, लाल, गुलाबी या अन्य हल्के रंग के कपड़े पहनना शुभ होता है। ये रंग सकारात्मकता और शुभता का प्रतीक होते हैं।
महिलाओं को बाल न बांधने दें
होलिका पूजा के समय महिलाओं को बाल बांधने से बचना चाहिए। यह परंपरा इस बात को दर्शाती है कि पूजा के दौरान खुले बालों से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। पूजा के बाद, महिलाएं अपने बाल बांध सकती हैं, लेकिन पूजा के समय यह जरूरी है कि बाल खुले रखें।
सड़क पर पड़ी वस्तुओं को न छुएं
होलिका दहन की रात को सड़क पर पड़ी कोई भी वस्तु हाथ या पैर से नहीं छूनी चाहिए। यह माना जाता है कि ऐसा करने से नकारात्मक शक्तियों का असर हो सकता है। इसलिए इस दिन सड़क पर पड़ी किसी भी चीज को छूने से बचें और सतर्क रहें।
नवविवाहित महिलाओं को घर से बाहर न भेजें
होलिका दहन के दिन नवविवाहित महिलाओं को घर से बाहर नहीं भेजना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन महिलाओं को घर से बाहर भेजने से उनके जीवन में संकट आ सकता है। इसलिए इस दिन नवविवाहित महिलाओं को घर में ही रखना चाहिए और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
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होलिका दहन का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष के अनुसार, होलिका दहन का दिन ग्रहों और नक्षत्रों के दृष्टिकोण से भी विशेष महत्व रखता है। होलिका दहन के बाद होलाष्टक समाप्त होता है, और शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।
इस दिन से ग्रहों की स्थिति में सकारात्मक परिवर्तन आना शुरू होता है, जो जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाने का कारण बनता है। यह समय किसी भी नए कार्य को शुरू करने, रिश्तों को सुधारने और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए उपयुक्त होता है।
निष्कर्ष
होलिका दहन का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानसिक और शारीरिक शांति का भी प्रतीक है। यह दिन हमें नकारात्मकता को जलाकर सकारात्मकता की ओर बढ़ने का संदेश देता है।
इस दिन किए गए अनुष्ठान और उपाय हमारे जीवन में खुशहाली, समृद्धि और शांति लाने में मदद करते हैं। होलिका दहन के समय किए गए धार्मिक और ज्योतिषीय उपाय जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं, जिससे हमारे घर में सुख और समृद्धि का वास होता है।
इस पवित्र दिन को सही तरीके से मनाने से हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं और हर तरह की नकारात्मकता से मुक्त हो सकते हैं।
FAQs
होलिका दहन के दिन क्या टोटका करना चाहिए?
होलिका दहन के दिन कुछ विशेष टोटके किए जा सकते हैं जिनसे घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। सबसे पहले, होलिका दहन के समय घर के उत्तर दिशा में घी का दीपक जलाना शुभ माना जाता है। इसके अलावा, होलिका दहन के बाद उसकी राख को घर के विभिन्न कोनों में रखें, इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
होलिका दहन में कौन सा नारियल डालना चाहिए?
होलिका दहन में नारियल डालना एक महत्वपूर्ण परंपरा है। विशेष रूप से ताजे नारियल को पूजा सामग्री में शामिल करना चाहिए। नारियल का बाहरी हिस्सा (खोखला नारियल) और अंदर का मीठा हिस्सा अच्छे परिणाम देने के लिए उपयोगी माना जाता है। नारियल को होलिका की आग में चढ़ाने से घर में समृद्धि और सुख-शांति का वास होता है। यह मान्यता है कि नारियल का अर्पण करने से घर में दरिद्रता दूर होती है और धन-धान्य की कमी नहीं होती।
होलिका दहन के राख को क्या करना चाहिए?
होलिका दहन के बाद राख को घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। राख को एक चांदी के डिब्बे में रखकर घर के अलग-अलग हिस्सों में रखना चाहिए। इसे मुख्य रूप से उत्तर दिशा में रखने से विशेष लाभ मिलता है। कुछ लोग इस राख में जौ और गेहूं की बालियां भी डालते हैं, जो घर की समृद्धि और खुशहाली में योगदान करते हैं। इस राख का उपयोग करके आप नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर सकते हैं और घर में शांति का माहौल बना सकते हैं।
होलिका दहन में कैसे नजर उतारा जाता है?
होलिका दहन में नजर उतारने की परंपरा भी निभाई जाती है। इसके लिए किसी व्यक्ति के सिर पर एक कटोरी से पानी और नमक घेरते हुए नजर उतारते हैं। यह प्रक्रिया करते समय ध्यान रखें कि कोई नकारात्मक भावना न हो। कुछ लोग इस दौरान बुरी नजर से बचने के लिए कच्चा प्याज या काले तिल भी इस्तेमाल करते हैं। इसके बाद नजर उतारने वाले पानी को होलिका की राख में डालना चाहिए, जिससे वह नकारात्मकता दूर हो सके।
होलिका दहन में नमक डालने से क्या होता है?
होलिका दहन में नमक डालना विशेष रूप से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए किया जाता है। नमक को होलिका की आग में डालने से घर के वातावरण में शांति आती है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। यह मान्यता है कि नमक घर में किसी भी प्रकार की वासु दोष को ठीक करता है और घर की संपत्ति में वृद्धि करता है। इस दिन नमक का प्रयोग करके आप अपने जीवन में खुशहाली और समृद्धि का आह्वान कर सकते हैं।

आचार्य नरेंद्र मोहन को ज्योतिष के क्षेत्र में 18+ वर्षों का अनुभव है। वे परंपरागत ज्योतिषीय ज्ञान को आधुनिक दृष्टिकोण के साथ जोड़ते हैं। उनकी विशेषज्ञता रिश्तों की अनुकूलता, करियर मार्गदर्शन, और जीवन की समस्याओं के समाधान में है। आचार्य नरेंद्र ने अपनी सटीक भविष्यवाणियों और व्यावहारिक सलाह से सैकड़ों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए हैं। उनके गहन ज्ञान और समर्पण ने उन्हें एक विश्वसनीय और अनुभवी ज्योतिषाचार्य बनाया है।