होलाष्टक 2025 में ज्योतिषीय उपाय और सावधानियाँ: जानें इस अशुभ काल में क्या करें और क्या नहीं

होलाष्टक 2025 में ज्योतिषीय उपाय और सावधानियाँ : होलाष्टक हिंदू धर्म में एक विशेष समय होता है, जिसे होली से आठ दिन पहले मनाया जाता है। यह समय ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस दौरान ग्रहों की ऊर्जा सबसे अधिक सक्रिय रहती है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस समय ग्रहों का प्रभाव हमारे जीवन पर नकारात्मक असर डाल सकता है। इसलिए, इस समय को शुभ कार्यों से बचने का समय माना जाता है।

इस लेख में हम होलाष्टक 2025 में ज्योतिषीय उपाय और सावधानियाँ पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

होलाष्टक 2025 में ज्योतिषीय उपाय और सावधानियाँ ( Holashtak 2025 Remedies and Precautions)

होलाष्टक एक महत्वपूर्ण समय होता है, जब ज्योतिष के अनुसार कुछ विशेष ग्रह और नक्षत्रों के प्रभाव से जीवन में तनाव और अशुभ घटनाएँ हो सकती हैं।

यह समय 2025 में 2 मार्च से 9 मार्च तक रहेगा। इस अवधि के दौरान, कुछ ज्योतिषीय उपायों और सावधानियों का पालन करना अत्यंत आवश्यक होता है, ताकि जीवन में शांति और समृद्धि बनी रहे।

होलाष्टक 2025 में ज्योतिषीय उपाय और सावधानियाँ


होलाष्टक क्या है?

होलाष्टक प्रत्येक वर्ष फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमा तक होता है। यह समय आमतौर पर फरवरी और मार्च के बीच आता है। इस समय ग्रहों की ऊर्जा उच्चतम स्तर पर होती है, और इसका

असर शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर भी पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार, इस दौरान ग्रहों का प्रभाव नकारात्मक हो सकता है, जिससे जीवन में कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

इस कारण से इस समय किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करने की सलाह नहीं दी जाती। हालांकि, इस समय पूजा, मंत्र जाप, और अन्य धार्मिक क्रियाओं का पालन करने से हम ग्रहों के अशुभ प्रभाव से बच सकते हैं और अपने जीवन में सकारात्मकता ला सकते हैं।

होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य क्यों वर्जित होते हैं?

होलाष्टक के दौरान शुभ कार्यों से बचने की सलाह दी जाती है क्योंकि ज्योतिष शास्त्र में इसे एक अशुभ समय माना गया है। इस दौरान ग्रहों का प्रभाव क्रूर होता है, और कोई भी नया कार्य करने पर नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं।

यदि हम इस समय शुभ कार्य करते हैं, तो उन कार्यों में विघ्न और बाधाएं आ सकती हैं, और परिणामस्वरूप वे पूरी तरह सफल नहीं हो पाते। इस दौरान ग्रहों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है, ताकि हम अपने जीवन में इन नकारात्मक प्रभावों से बच सकें।

होलाष्टक से जुड़ी पौराणिक कथा

होलाष्टक की मान्यता एक पौराणिक कथा से जुड़ी हुई है, जो शिव पुराण में वर्णित है। कथा के अनुसार, असुर हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। हिरण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानता था और विष्णु की पूजा का विरोध करता था।

उसने प्रह्लाद को विष्णु भक्ति से विमुख करने के लिए कई कठोर यातनाएं दीं, लेकिन प्रह्लाद पर इनका कोई असर नहीं हुआ। फिर, हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को आग में बैठाने का आदेश दिया, क्योंकि होलिका के पास जलने से बचने का वरदान था।

हालांकि, जब होलिका ने प्रह्लाद के साथ आग में बैठने की कोशिश की, तो वह खुद जलकर भस्म हो गई, और प्रह्लाद बच गया। इस घटना के बाद से होलाष्टक के आठ दिन

अशुभ माने गए, क्योंकि यह समय भगवान शिव द्वारा कामदेव को भस्म करने का भी था। इस पौराणिक कथा के कारण होलाष्टक के दौरान किसी भी शुभ कार्य से बचने की परंपरा है।

होलाष्टक 2025 कब से कब तक होगा?

होलाष्टक 2025 में 7 मार्च से शुरू होगा और 13 मार्च को फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन होलिका दहन के साथ समाप्त होगा। इसके अगले दिन, यानी 14 मार्च को रंगों की होली खेली जाएगी।

इस आठ दिन के दौरान ग्रहों की ऊर्जा उच्चतम स्तर पर होती है, और यह समय नए कार्यों की शुरुआत के लिए अनुकूल नहीं होता। इसलिए इस समय का सदुपयोग पूजा, भक्ति, और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाना चाहिए।

होलाष्टक के दौरान कुछ विशेष कार्यों से बचने की सलाह दी जाती है। ये कार्य इस समय को अशुभ माना जाने के कारण किए जाते हैं, क्योंकि इस दौरान ग्रहों का प्रभाव नकारात्मक हो सकता है। निम्नलिखित वर्जित कार्यों को ध्यान में रखना चाहिए:

होलाष्टक में वर्जित कार्य

होलाष्टक में वर्जित कार्य


  1. विवाह: होलाष्टक के समय विवाह जैसे शुभ कार्य करने से बचना चाहिए। इस समय ग्रहों का प्रभाव नकारात्मक होता है, और विवाह जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में विघ्न आ सकते हैं।

2. मुंडन संस्कार: बच्चों का मुंडन संस्कार भी होलाष्टक में वर्जित होता है। माना जाता है कि इस दौरान किए गए संस्कार अशुभ फल दे सकते हैं।

3. नामकरण संस्कार: नवजात बच्चों का नामकरण भी इस समय नहीं करना चाहिए। यह कार्य शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए ताकि बच्चे के जीवन में सकारात्मक प्रभाव पड़े।

4. सगाई: सगाई जैसे शुभ अवसरों को भी होलाष्टक में टाल देना चाहिए। यह समय किसी भी प्रकार की नई शुरुआत के लिए अनुकूल नहीं माना जाता।

5. गृह प्रवेश: नया घर खरीदने के बाद उसमें प्रवेश करने के लिए होलाष्टक समाप्त होने का इंतजार करना चाहिए। गृह प्रवेश को शुभ मुहूर्त में करना चाहिए।

6. नई संपत्ति खरीदना: इस समय भूमि या संपत्ति की खरीदारी से बचना चाहिए। यह कार्य शुभ मुहूर्त पर ही करना चाहिए ताकि संपत्ति से संबंधित कार्यों में कोई विघ्न न आए।

7. नई गाड़ी खरीदना: नई गाड़ी खरीदने के लिए होलाष्टक का समय अनुकूल नहीं होता। इसे भी शुभ मुहूर्त पर ही करना चाहिए।

8. नया व्यापार शुरू करना: व्यापार के नए उद्यम की शुरुआत होलाष्टक के दौरान नहीं करनी चाहिए। यह समय व्यवसायिक सफलता के लिए उपयुक्त नहीं होता।

9. नौकरी में बदलाव: इस समय किसी नई नौकरी में शामिल होना या नौकरी बदलने से भी बचना चाहिए। इस दौरान किए गए कार्यों में असफलता या अडचनें आ सकती हैं।

होलाष्टक के आठ दिन और ग्रहों का प्रभाव

होलाष्टक के आठ दिन प्रत्येक दिन एक ग्रह से संबंधित होते हैं। इस दौरान प्रत्येक ग्रह की शांति के लिए विशिष्ट उपाय किए जाते हैं ताकि जीवन में नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सके। नीचे दिए गए हैं होलाष्टक के आठ दिनों और संबंधित ग्रहों का प्रभाव:

पहला दिन (अष्टमी, चंद्रमा):

तिथि: 6 मार्च 2025

ग्रह: चंद्रमा

प्रभाव: चंद्रमा हमारे मन और मानसिक स्थिति से जुड़ा होता है। इस दिन चंद्रमा की शांति के उपायों से मानसिक शांति, तनाव कम करने, और भावनात्मक संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।

उपाय: चंद्रमा की पूजा करें, सफेद रंग का व्रत करें, और गंगा स्नान करें।

दूसरा दिन (नवमी, सूर्य):

तिथि: 7 मार्च 2025

ग्रह: सूर्य

प्रभाव: सूर्य हमारे आत्मविश्वास, शौर्य, और शक्ति का प्रतीक है। सूर्य की स्थिति कमजोर होने से आत्मविश्वास की कमी और विफलताएं हो सकती हैं।

उपाय: सूर्य को अर्घ्य अर्पित करें, हनुमान चालीसा का पाठ करें, और प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पित करें।

तीसरा दिन (दशमी, शनि)

तिथि: 8 मार्च 2025

ग्रह: शनि

प्रभाव: शनि का प्रभाव कर्म, न्याय, और जीवन की कठिनाइयों से जुड़ा होता है। शनि की शांति के उपाय से जीवन में स्थिरता और समृद्धि मिल सकती है।

उपाय: शनि के मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जाप करें और तिल, सरसों तेल का दान करें।

चौथा दिन (एकादशी, शुक्र)

तिथि: 9 मार्च 2025

ग्रह: शुक्र

प्रभाव: शुक्र ग्रह प्रेम, सुख-सुविधाओं और रचनात्मकता का प्रतिनिधित्व करता है। शुक्र की अशांति से रिश्तों में तनाव और आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

उपाय: शुक्र के मंत्र “ॐ द्रां द्रीं द्रौं शुक्राय नमः” का जाप करें, सफेद चीजों का दान करें, और देवी लक्ष्मी की पूजा करें।

पाँचवां दिन (द्वादशी, गुरु)

तिथि: 10 मार्च 2025

ग्रह: गुरु

प्रभाव: गुरु ग्रह शिक्षा, ज्ञान, और समृद्धि का प्रतीक है। गुरु के अशुभ प्रभाव से जीवन में ज्ञान की कमी और मार्गदर्शन का अभाव हो सकता है।

उपाय: गुरु के मंत्र “ॐ ब्रं बृहस्पतये नमः” का जाप करें, और पीले वस्त्र पहनें या पीली वस्तुओं का दान करें।

6. छठा दिन (त्रयोदशी, बुध)

तिथि: 11 मार्च 2025

ग्रह: बुध

प्रभाव: बुध ग्रह बुद्धिमत्ता, संचार और व्यापार से जुड़ा है। बुध की अशांति से विचारों में उलझन और व्यावसायिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

उपाय: बुध के मंत्र “ॐ बुद्धाय नमः” का जाप करें और हरे रंग की वस्तुएं दान करें।

7. सातवां दिन (चतुर्दशी, मंगल)

तिथि: 12 मार्च 2025

ग्रह: मंगल

प्रभाव: मंगल ग्रह ऊर्जा, साहस और युद्ध का प्रतीक है। मंगल की अशांति से शारीरिक स्वास्थ्य में समस्याएं और पारिवारिक झगड़े हो सकते हैं।

उपाय: मंगल के मंत्र “ॐ क्रां क्रीं क्रौं मंगलाय नमः” का जाप करें और लाल रंग की चीजों का दान करें।

8. आठवां दिन (पूर्णिमा, राहु-केतु)

तिथि: 13 मार्च 2025

ग्रह: राहु और केतु

प्रभाव: राहु और केतु छाया ग्रह हैं जो भ्रम, नकारात्मकता और असमंजस का कारण बन सकते हैं। इन ग्रहों की शांति से जीवन में मार्गदर्शन प्राप्त होता है।

उपाय: राहु और केतु के मंत्रों का जाप करें, और काले तिल, नमक, या ऊनी वस्त्र का दान करें।

इन उपायों के माध्यम से, हम होलाष्टक के आठ दिनों में ग्रहों के प्रभाव को शांत कर सकते हैं और अपने जीवन में सकारात्मकता ला सकते हैं।

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होलाष्टक में क्या करें?

होलाष्टक का समय ग्रहों के अशुभ प्रभाव से बचने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होता है। इस दौरान धार्मिक और ज्योतिषीय उपायों के माध्यम से नकारात्मकता को शांत किया जा सकता है।

होलाष्टक में किए जाने वाले कुछ विशेष कार्यों और उपायों से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त की जा सकती है। यहां हम कुछ ऐसे कार्यों के बारे में चर्चा करेंगे जिन्हें होलाष्टक में करना चाहिए:

होलाष्टक में क्या करें?
  1. भगवान विष्णु और नरसिंह भगवान की पूजा

होलाष्टक के दौरान भगवान विष्णु और नरसिंह भगवान की पूजा करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। भगवान विष्णु की पूजा से जीवन में शांति, समृद्धि और खुशहाली आती है, जबकि नरसिंह भगवान की पूजा से असुरों और नकारात्मक शक्तियों का विनाश होता है।

उपाय:

  • भगवान विष्णु का 108 बार “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
  • नरसिंह भगवान की पूजा करें और उनके मंत्र “ॐ श्री नरसिंहाय नमः” का जाप करें।
  • श्री विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें, जिससे जीवन में हर प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।

2. हनुमानजी की पूजा

हनुमानजी की पूजा और उनका जाप जीवन में संकटों को दूर करने में मदद करता है। होलाष्टक में हनुमानजी की पूजा से विशेष रूप से मानसिक और शारीरिक संकटों का समाधान होता है।

उपाय:

  • हनुमान चालीसा का पाठ करें, विशेष रूप से मंगलवार को।
  • हनुमान जी के दर्शन करें और लाल फूल अर्पित करें।
  • हनुमानजी की प्रतिमा पर सिंदूर और तेल अर्पित करें, जिससे हर प्रकार की नकारात्मकता दूर होती है।

3. महामृत्युंजय मंत्र का जाप

महामृत्युंजय मंत्र का जाप विशेष रूप से होलाष्टक में लाभकारी माना जाता है। इस मंत्र से न केवल स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं दूर होती हैं, बल्कि जीवन में लंबी उम्र और सुख-शांति भी आती है।

उपाय:

  • “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम। उर्वारुकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्तिर्मा अमृतात्॥” इस महामृत्युंजय मंत्र का जाप 108 बार या 1008 बार करें।
  • यह मंत्र बुरे समय, बीमारी और कठिनाई से उबरने में मदद करता है। यह भी माना जाता है कि यह मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाता है।

4. ग्रह शांति उपाय

होलाष्टक के दौरान ग्रहों की अशांति को शांत करने के लिए विशेष ज्योतिषीय उपाय किए जाते हैं। ये उपाय जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता और समृद्धि लाने में मदद करते हैं। ग्रहों की शांति के लिए प्रत्येक दिन के अनुसार विशेष उपाय किए जाते हैं।

उपाय:

  • प्रत्येक दिन संबंधित ग्रह की पूजा और मंत्र जाप करें (जैसा कि हमने पहले “होलाष्टक के आठ दिन और ग्रहों का प्रभाव” में चर्चा की है)।
  • ग्रहों के लिए विशेष दान और व्रत भी किए जाते हैं, जैसे कि शनि के लिए तिल और सरसों तेल का दान, सूर्य के लिए जल अर्पित करना, और बुध के लिए हरे रंग की वस्तुओं का दान करना।

5. नियमित पूजा और मंत्र जाप

होलाष्टक के दौरान नियमित पूजा और मंत्र जाप करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है। यह समय विशेष रूप से मानसिक शांति और आंतरिक संतुलन बनाने के लिए उपयुक्त होता है।

उपाय:

  • प्रतिदिन सुबह-सुबह स्नान करके भगवान की पूजा करें और मंत्रों का जाप करें।
  • घर के सभी सदस्यों के साथ सामूहिक रूप से पूजा करें ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो।
  • घर के सभी सदस्यों के साथ सामूहिक रूप से पूजा करें ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो।

6. ध्यान और साधना

होलाष्टक का समय ध्यान और साधना करने के लिए बहुत उपयुक्त होता है। इस समय में ध्यान लगाने से मानसिक शांति मिलती है और आत्मिक उन्नति होती है। यह समय अपने भीतर की नकारात्मकता को दूर करने का होता है।

उपाय:

  • सुबह के समय एकांत स्थान पर बैठकर ध्यान करें और अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें।
  • इसके अलावा, प्राणायाम और योगासन भी किए जा सकते हैं ताकि शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहें।

6. दान और सहायता करना

होलाष्टक के दौरान जरूरतमंदों को दान देना और सहायता करना बहुत पुण्यकारी माना जाता है। यह न केवल आपके पुण्य को बढ़ाता है, बल्कि समाज में भी सकारात्मक बदलाव लाता है।

उपाय:

  • गरीबों को खाना, कपड़े और अन्य जरूरी वस्तुएं दान करें।
  • विशेष रूप से ब्राह्मणों को तिल, गुड़, या अन्य आवश्यक चीजों का दान करें।

7. सावधानी और संयम बनाए रखें

होलाष्टक के दौरान संयम और आत्म-नियंत्रण रखना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस समय को आत्म-संवर्धन और आध्यात्मिक उन्नति के रूप में उपयोग करें, और अपने क्रोध, अहंकार और नकारात्मक भावनाओं पर नियंत्रण रखें।

उपाय:

  • इस समय मानसिक शांति और संयम बनाए रखने के लिए रोज़ अपने विचारों की जांच करें और नकारात्मक सोच को त्यागें।
  • सकारात्मक सोच को बढ़ावा दें और जीवन के प्रत्येक पहलू में संतुलन बनाए रखें।

निष्कर्ष

होलाष्टक एक महत्वपूर्ण समय होता है, जब ज्योतिषीय दृष्टिकोण से शुभ कार्यों से बचने की सलाह दी जाती है। यह समय ग्रहों के अशुभ प्रभाव को शांत करने और आध्यात्मिक साधना पर ध्यान केंद्रित करने का होता है।

इस समय पूजा, मंत्र जाप, और ग्रह शांति उपायों के माध्यम से हम अपनी जीवन में सकारात्मकता ला सकते हैं। होलाष्टक के दौरान बताए गए ज्योतिषीय उपायों को अपनाकर हम जीवन को बेहतर बना सकते हैं और ग्रहों के दुष्प्रभाव से बच सकते हैं।

FAQs

क्या होलाष्टक के दौरान कोई विशेष मंत्रों का जाप करना चाहिए?

हां, होलाष्टक के दौरान “ॐ नमः शिवाय” और “ॐ हनुमते नमः” जैसे मंत्रों का जाप किया जा सकता है। यह मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाते हैं।

होलाष्टक के दौरान किस प्रकार के आहार से परहेज करना चाहिए?

इस समय मांसाहार, शराब और तामसिक आहार से बचना चाहिए। शाकाहारी और सात्विक आहार का सेवन करना चाहिए, जो मानसिक शांति और ऊर्जा को बनाए रखे।

क्या होलाष्टक के दौरान व्रत और उपवासी रहना चाहिए?

होलाष्टक के दौरान व्रत और उपवास रखने से मन को शांति मिलती है। यह समय आत्मसंयम और मानसिक शुद्धता का होता है, इसलिए व्रत और उपवास करने से शुभ परिणाम मिल सकते हैं।

क्या होलाष्टक में घर की सफाई करना शुभ होता है?

हां, होलाष्टक के दौरान घर की सफाई और नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकालने का काम किया जा सकता है। यह घर में सकारात्मकता और सुख-शांति लाने में मदद करता है।

क्या होलाष्टक का कोई विशेष महत्व है?

होलाष्टक का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि यह समय ग्रहों के अशुभ प्रभावों से बचने और जीवन में शांति, समृद्धि और सकारात्मकता लाने के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा जाता है। इस दौरान की गई पूजा और उपायों से जीवन में सुख, शांति और सौभाग्य प्राप्त हो सकता है।

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