प्रेम विवाह के लिए कौन सा ग्रह जिम्मेदार है? प्रेम विवाह आज के समय में आम हो गया है, लेकिन हर व्यक्ति का प्रेम विवाह सफल नहीं होता। कुछ लोग आसानी से अपने प्रेमी से शादी कर लेते हैं, जबकि कुछ को परिवार या समाज की बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
ज्योतिष शास्त्र में इस विषय पर गहराई से अध्ययन किया गया है। कुंडली में कुछ खास ग्रह और योग होते हैं जो प्रेम विवाह (Love Marriage) के लिए जिम्मेदार होते हैं। यदि ये ग्रह शुभ स्थिति में हों, तो प्रेम विवाह आसानी से संभव होता है, लेकिन यदि बाधक ग्रह प्रभावी हों, तो प्रेम विवाह में कठिनाइयाँ आती हैं।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि प्रेम विवाह के लिए कौन सा ग्रह जिम्मेदार होता है, किन ग्रहों का क्या प्रभाव पड़ता है, और यदि विवाह में बाधाएँ आ रही हैं तो कौन-से उपाय किए जा सकते हैं।
प्रेम विवाह के लिए कौन सा ग्रह जिम्मेदार है? (Which Planet Is Responsible for Love Marriage?)
ज्योतिष में कुछ ग्रह (Planet) विशेष रूप से प्रेम और विवाह को प्रभावित करते हैं। इन ग्रहों की स्थिति यह तय करती है कि व्यक्ति को प्रेम विवाह होगा या नहीं।

1. शुक्र ग्रह – प्रेम और आकर्षण का कारक
शुक्र को प्रेम, सौंदर्य, रोमांस और वैवाहिक सुख का प्रतीक माना जाता है।
- यदि कुंडली में शुक्र मजबूत हो और शुभ ग्रहों से दृष्ट हो, तो व्यक्ति का प्रेम विवाह होने की संभावना बढ़ जाती है।
- शुक्र के प्रभाव से व्यक्ति आकर्षक, रोमांटिक और रिश्तों में ईमानदार होता है।
- शुक्र यदि पंचम (प्रेम) भाव या सप्तम (विवाह) भाव में स्थित हो, तो प्रेम विवाह की संभावना अधिक रहती है।
- यदि शुक्र राहु या मंगल से प्रभावित हो, तो प्रेम विवाह में संघर्ष और देरी हो सकती है।
2. पंचम भाव – प्रेम संबंधों का घर
पंचम भाव को प्रेम, रोमांस और रिश्तों का भाव माना जाता है।
- यदि पंचम भाव में शुभ ग्रह (जैसे शुक्र, चंद्रमा, बुध) स्थित हों, तो व्यक्ति को प्रेम में सफलता मिलती है।
- यदि पंचम भाव का स्वामी सप्तम भाव (विवाह भाव) से जुड़ा हो, तो प्रेम विवाह की संभावना बढ़ जाती है।
- यदि पंचम भाव राहु, शनि या केतु से प्रभावित हो, तो प्रेम विवाह में देरी या बाधाएँ आती हैं।
3. सप्तम भाव – विवाह और जीवनसाथी का भाव
सप्तम भाव से व्यक्ति के विवाह और जीवनसाथी की स्थिति देखी जाती है।
- यदि सप्तम भाव में शुक्र, चंद्रमा, बुध या गुरु स्थित हों, तो प्रेम विवाह के योग बनते हैं।
- यदि सप्तम भाव का स्वामी पंचम भाव से जुड़ा हो, तो विवाह प्रेम संबंध से ही होगा।
- यदि सप्तम भाव पर शनि, राहु या मंगल की दृष्टि हो, तो विवाह में देरी हो सकती है।
4. राहु और मंगल – बाधा या प्रेम विवाह का कारक
राहु और मंगल ग्रह प्रेम विवाह को प्रभावित करते हैं।
- राहु स्वतंत्रता और सामाजिक बंधनों को तोड़ने वाला ग्रह है। यदि राहु पंचम या सप्तम भाव में हो, तो जातक प्रेम विवाह के लिए समाज की परवाह नहीं करता।
- मंगल साहस और उग्रता का प्रतीक है। यदि मंगल पंचम या सप्तम भाव में हो, तो व्यक्ति प्रेम संबंधों में जोशीला होता है, लेकिन गलत निर्णय भी ले सकता है।
- मंगल और राहु के संयोजन से जातक परिवार के विरोध के बावजूद प्रेम विवाह कर सकता है।
5. बुध ग्रह – संचार और समझदारी का ग्रह
बुध कुंडली में संवाद, बुद्धिमानी और सोचने-समझने की शक्ति को दर्शाता है।
- यदि बुध पंचम भाव में हो, तो व्यक्ति रिश्तों को समझदारी से निभाने वाला होता है।
- बुध यदि सप्तम भाव में हो और शुभ ग्रहों से दृष्ट हो, तो प्रेम विवाह में सफलता मिलती है।
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प्रेम विवाह में बाधाएँ क्यों आती हैं?

कई बार व्यक्ति का प्रेम विवाह होने के बावजूद दांपत्य जीवन में कठिनाइयाँ आती हैं। इसके पीछे कुछ ज्योतिषीय कारण होते हैं।
- शुक्र पर शनि या राहु की दृष्टि होने से प्रेम विवाह में देरी या असफलता होती है।
- सप्तम भाव कमजोर होने से विवाह के बाद दांपत्य जीवन में समस्याएँ आ सकती हैं।
- पंचम भाव पर राहु, मंगल या शनि की दृष्टि होने से प्रेम में धोखा या अलगाव हो सकता है।
- यदि सप्तम भाव का स्वामी छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो, तो विवाह के बाद जीवनसाथी से मतभेद बढ़ सकते हैं।
प्रेम विवाह के लिए ज्योतिषीय उपाय
अगर आपकी कुंडली में प्रेम विवाह के योग नहीं बन रहे हैं या विवाह में देरी हो रही है, तो कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं।

1. शुक्र ग्रह को मजबूत करें
- शुक्रवार के दिन सफेद वस्त्र पहनें और शुक्र ग्रह के मंत्र “ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” का 108 बार जाप करें।
- चांदी के गिलास में पानी पीने और सफेद रंग के फूल चढ़ाने से भी शुक्र मजबूत होता है।
- सुगंधित चीज़ों (इत्र, चंदन) का उपयोग करें।
2. पंचम और सप्तम भाव के लिए उपाय
- पंचम भाव के लिए गणपति की पूजा करें और बुध मंत्र “ॐ बुं बुधाय नमः” का जाप करें।
- सप्तम भाव को मजबूत करने के लिए गुरु मंत्र का जाप करें और पीले रंग के वस्त्र पहनें।
3. राहु और मंगल के दुष्प्रभाव से बचाव
- राहु के प्रभाव को कम करने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करें और नारियल का दान करें।
- मंगल दोष के लिए मंगलवार का व्रत रखें और हनुमान मंदिर में सिंदूर अर्पित करें।
4. परिवार की सहमति के लिए उपाय
- माता-पिता की सहमति के लिए गौरी-गणेश पूजन करें और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
- शुक्रवार के दिन सुहागन स्त्रियों को सफेद मिठाई का दान करें।
निष्कर्ष
प्रेम विवाह के लिए शुक्र, पंचम और सप्तम भाव मुख्य रूप से जिम्मेदार होते हैं। अगर कुंडली में ये ग्रह शुभ स्थिति में हैं, तो प्रेम विवाह आसानी से संभव होता है। यदि विवाह में बाधाएँ आ रही हैं, तो सही ज्योतिषीय उपायों को अपनाकर सफलता प्राप्त की जा सकती है।
अगर आप भी अपने प्रेम विवाह को सफल बनाना चाहते हैं, तो कुंडली का सही विश्लेषण करवाएं और उचित उपाय अपनाएं। सही समय पर सही निर्णय और सकारात्मक सोच से प्रेम विवाह सफल हो सकता है।
FAQs
प्रेम विवाह के लिए कौन सा ग्रह सबसे ज्यादा जिम्मेदार होता है
शुक्र ग्रह प्रेम, आकर्षण और रोमांस का प्रतीक है। यदि कुंडली में शुक्र मजबूत हो और पंचम या सप्तम भाव में हो, तो प्रेम विवाह की संभावना बढ़ जाती है। बुध, मंगल और राहु भी प्रेम विवाह को प्रभावित करते हैं, खासकर जब वे पंचम या सप्तम भाव से जुड़े होते हैं।
क्या कुंडली में प्रेम विवाह का योग देखा जा सकता है?
हाँ, कुंडली में पंचम भाव (प्रेम) और सप्तम भाव (विवाह) का संबंध प्रेम विवाह का योग बनाता है। यदि इन भावों का स्वामी शुक्र या मंगल से प्रभावित हो और राहु या बुध का सहयोग मिले, तो प्रेम विवाह के प्रबल संकेत होते हैं।
अगर कुंडली में प्रेम विवाह के योग न हों तो क्या करें?
यदि कुंडली में प्रेम विवाह के योग नहीं हैं, तो शुक्र ग्रह को मजबूत करने के उपाय करें। शुक्रवार का व्रत रखें, सफेद वस्त्र पहनें, और “ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” मंत्र का जाप करें। पंचम और सप्तम भाव को मजबूत करने के लिए गणेश पूजन और रुद्राभिषेक भी लाभकारी होते हैं।
प्रेम विवाह में परिवार की बाधा क्यों आती है?
परिवार की बाधा तब आती है जब सप्तम भाव पर शनि, राहु या मंगल का प्रभाव होता है। यह ग्रह पारिवारिक दबाव, समाज की स्वीकृति और मतभेद बढ़ा सकते हैं। परिवार को मनाने के लिए गौरी-गणेश पूजन और हनुमान चालीसा का पाठ करने से सकारात्मक प्रभाव मिलता है।
क्या राहु प्रेम विवाह को प्रभावित करता है?
हाँ, राहु सामाजिक नियमों को तोड़ने वाला ग्रह है। यदि राहु पंचम या सप्तम भाव में हो, तो जातक प्रेम विवाह करने के लिए समाज के नियमों की परवाह नहीं करता। लेकिन राहु यदि अशुभ स्थिति में हो, तो यह संबंधों में धोखा, गलतफहमियां और संघर्ष ला सकता है।
प्रेम विवाह के लिए कौन-सा उपाय सबसे असरदार है?
सबसे प्रभावी उपायों में शुक्र को मजबूत करना, पंचम भाव को सुधारना और माता-पिता की सहमति के लिए गौरी-गणेश पूजन करना शामिल है। शुक्रवार को सफेद मिठाई का दान करें, हनुमान जी की पूजा करें और शिव-पार्वती का अभिषेक करें।
क्या प्रेम विवाह और अरेंज मैरिज के योग एक जैसे होते हैं?
नहीं, प्रेम विवाह में पंचम भाव और सप्तम भाव का संबंध देखा जाता है, जबकि अरेंज मैरिज में गुरु, शनि और पारिवारिक कारक ग्रहों की स्थिति महत्वपूर्ण होती है। अरेंज मैरिज के लिए कुंडली में गुरु और चंद्रमा की स्थिति मजबूत होनी चाहिए।

आचार्य नरेंद्र मोहन को ज्योतिष के क्षेत्र में 18+ वर्षों का अनुभव है। वे परंपरागत ज्योतिषीय ज्ञान को आधुनिक दृष्टिकोण के साथ जोड़ते हैं। उनकी विशेषज्ञता रिश्तों की अनुकूलता, करियर मार्गदर्शन, और जीवन की समस्याओं के समाधान में है। आचार्य नरेंद्र ने अपनी सटीक भविष्यवाणियों और व्यावहारिक सलाह से सैकड़ों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए हैं। उनके गहन ज्ञान और समर्पण ने उन्हें एक विश्वसनीय और अनुभवी ज्योतिषाचार्य बनाया है।