वास्तु शास्त्र में घर के मुख के लिए सबसे अच्छी दिशा कौन सी है? घर का मुख, यानी मुख्य द्वार, केवल प्रवेश का स्थान नहीं होता, बल्कि यह पूरे घर की ऊर्जा का केंद्र होता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की दिशा और मुख्य द्वार (House Entrance) का स्थान हमारे स्वास्थ्य, समृद्धि, सफलता और पारिवारिक शांति पर सीधा प्रभाव डालता है। सही दिशा में मुख्य द्वार होने से सकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती है, जिससे जीवन में उन्नति होती है, जबकि गलत दिशा में द्वार होने से मानसिक और आर्थिक परेशानियां बढ़ सकती हैं।
वास्तु शास्त्र में घर के मुख के लिए सबसे अच्छी दिशा कौन सी है? (Best Direction for House Entrance in Vastu Shastra)

अगर आप नया घर खरीदने की सोच रहे हैं या अपने घर का निर्माण करवा रहे हैं, तो यह जानना जरूरी है कि कौन-सी दिशा आपके लिए शुभ होगी और किन वास्तु नियमों का पालन करना चाहिए। इस लेख में विस्तार से जानेंगे कि घर के मुख के लिए कौन-सी दिशा सबसे अच्छी मानी जाती है और किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।
घर के मुख की दिशा का महत्व
वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) में कुल आठ दिशाओं का महत्व बताया गया है। इनमें चार मुख्य दिशाएं – पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण – तथा चार कोणीय दिशाएं – ईशान, आग्नेय, नैऋत्य और वायव्य – शामिल हैं। हर दिशा किसी न किसी देवता या ग्रह से जुड़ी होती है, जिससे वह जीवन के किसी विशेष क्षेत्र को प्रभावित करती है।

घर के मुख से आने वाली ऊर्जा का प्रभाव
मुख्य द्वार से ही घर में सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। अगर घर का मुख सही दिशा में है, तो यह परिवार को सुख, समृद्धि और सफलता दिला सकता है। गलत दिशा में द्वार होने से कर्ज, मानसिक तनाव और स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
प्रत्येक दिशा का अलग महत्व
वास्तु शास्त्र में दिशाओं को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि हर दिशा एक विशेष ग्रह और देवता से जुड़ी होती है। उदाहरण के लिए, उत्तर दिशा धन के देवता कुबेर से संबंधित है, जबकि पूर्व दिशा से सूर्य की ऊर्जा घर में प्रवेश करती है।
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घर के मुख्य द्वार के लिए सबसे शुभ दिशा कौन-सी है?
मुख्य द्वार (House Entrance in Vastu Shastra) की सही दिशा आपके जीवन में उन्नति ला सकती है, जबकि गलत दिशा आपके घर में समस्याएं पैदा कर सकती है। आइए जानते हैं कौन-सी दिशा सबसे उत्तम मानी जाती है।

पूर्व दिशा – सकारात्मक ऊर्जा और सफलता
पूर्व दिशा को वास्तु में सबसे शुभ माना जाता है क्योंकि यह भगवान सूर्य और देवराज इंद्र की दिशा है।
- इस दिशा में मुख्य द्वार होने से घर में प्राकृतिक रोशनी और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
- यह अच्छे स्वास्थ्य, बुद्धि, धन और सौभाग्य को बढ़ाता है।
- घर का मुख पूर्व दिशा में होने पर सुबह की सूर्य किरणें घर में प्रवेश करती हैं, जिससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है।
- पूर्व दिशा में मुख्य द्वार बनाने से पहले यह ध्यान दें कि मुख्य द्वार के सामने कोई बाधा (पेड़, खंभा, नाली या गड्ढा) न हो।
उत्तर दिशा – धन और समृद्धि की दिशा
उत्तर दिशा को कुबेर देव और बुध ग्रह की दिशा माना जाता है, जो व्यापार और आर्थिक स्थिरता का प्रतीक है।
- इस दिशा में मुख्य द्वार होने से व्यापार में उन्नति और धन आगमन बना रहता है।
- यदि कोई आर्थिक समस्या बनी हुई है, तो उत्तर दिशा में द्वार शुभ माना जाता है।
- इस दिशा में मुख्य द्वार बनाते समय साफ-सफाई बनाए रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि गंदगी होने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ सकता है।
पश्चिम दिशा – स्थिरता और सफलता
पश्चिम दिशा को शनि देव और वरुण देव की दिशा माना जाता है।
- इस दिशा में घर का मुख होने से व्यक्ति को करियर और समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है।
- यदि आप नौकरी या व्यवसाय में स्थिरता चाहते हैं, तो इस दिशा में मुख्य द्वार लाभदायक हो सकता है।
- इस दिशा में प्रवेश द्वार रखने से पहले वास्तु विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।
दक्षिण दिशा – सावधानीपूर्वक उपयोग करें
दक्षिण दिशा को मंगल और यमराज की दिशा माना जाता है। यह दिशा साहस, शक्ति और संघर्ष का प्रतीक है।
- इस दिशा में मुख्य द्वार होना आमतौर पर शुभ नहीं माना जाता, लेकिन यदि मुख्य द्वार दक्षिण-पूर्व (आग्नेय) में रखा जाए, तो यह लाभकारी हो सकता है।
- दक्षिण दिशा में घर का मुख होने पर मुख्य द्वार पर स्वस्तिक, पंचमुखी हनुमानजी की तस्वीर या तुलसी का पौधा लगाने से नकारात्मकता कम होती है।
कोणीय दिशाओं का महत्व और उनका प्रभाव
ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) – आध्यात्मिकता और शांति
- यह दिशा बृहस्पति ग्रह की होती है, जो ज्ञान और सकारात्मकता को बढ़ाता है।
- इस दिशा में पूजा कक्ष या पानी का स्रोत रखना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- भारी सामान, शौचालय या कूड़ादान इस दिशा में न रखें।
आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) – ऊर्जा और स्वास्थ्य
- यह दिशा शुक्र ग्रह और अग्नि देव से संबंधित होती है।
- इस दिशा में रसोईघर होना अच्छा होता है, लेकिन मुख्य द्वार रखने से घरेलू कलह बढ़ सकता है।
नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) – सुरक्षा और स्थिरता
- यह दिशा राहु और नैऋति देवता से संबंधित मानी जाती है।
- इस दिशा में मुख्य द्वार होना अशुभ माना जाता है। यदि द्वार रखना आवश्यक हो, तो वास्तु दोष निवारण के उपाय करें।
वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) – संबंधों और यात्रा की दिशा
- यह दिशा चंद्र देव और वायु देव की होती है।
- इस दिशा में द्वार होने से रिश्ते मजबूत होते हैं और व्यापार में सफलता मिलती है।
मुख्य द्वार से जुड़े वास्तु नियम

- मुख्य द्वार के सामने कोई अवरोध (पेड़, खंभा, नाली) नहीं होना चाहिए।
- मुख्य द्वार बड़ा और मजबूत होना चाहिए, ताकि शुभ ऊर्जा का संचार हो सके।
- द्वार के पास जूते-चप्पल नहीं रखने चाहिए, इससे नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश कर सकती है।
- मुख्य द्वार के दोनों ओर स्वस्तिक या मंगल कलश लगाने से शुभ ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है।
निष्कर्ष: कौन-सी दिशा सबसे शुभ है?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूर्व और उत्तर दिशा में मुख्य द्वार बनाना सबसे शुभ होता है। ये दिशाएं सकारात्मक ऊर्जा, धन, सफलता और पारिवारिक सुख-शांति को बढ़ावा देती हैं।
यदि किसी अन्य दिशा में द्वार बनाना अनिवार्य हो, तो सही वास्तु उपाय अपनाकर नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।
सही दिशा में मुख्य द्वार रखने से जीवन में उन्नति, समृद्धि और शांति बनी रहती है। अगर आप नया घर बना रहे हैं या खरीदने की सोच रहे हैं, तो वास्तु नियमों का पालन करें और सकारात्मक ऊर्जा को अपने जीवन में आमंत्रित करें।
FAQs
घर का मुख किस दिशा में होना सबसे अच्छा होता है?
घर का मुख्य द्वार पूर्व या उत्तर दिशा में होना सबसे शुभ माना जाता है। पूर्व दिशा से सूर्य की ऊर्जा प्रवेश करती है, जो सकारात्मकता और सफलता लाती है, जबकि उत्तर दिशा धन और समृद्धि का प्रतीक है। ये दोनों दिशाएं घर में सुख-समृद्धि बनाए रखती हैं।
क्या दक्षिण दिशा में घर का मुख्य द्वार रखना ठीक है?
दक्षिण दिशा में मुख्य द्वार सामान्यतः शुभ नहीं माना जाता, लेकिन सही वास्तु उपाय अपनाकर इसके नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है। यदि दक्षिण दिशा में दरवाजा हो, तो मुख्य द्वार पर स्वस्तिक, पंचमुखी हनुमान जी की तस्वीर या तुलसी का पौधा लगाना लाभकारी हो सकता है।
पश्चिम दिशा में घर का दरवाजा होने से क्या प्रभाव पड़ता है?
पश्चिम दिशा का मुख्य द्वार स्थिरता, सफलता और मान-सम्मान को बढ़ाता है। यदि इस दिशा में दरवाजा हो, तो इसे साफ-सुथरा रखना चाहिए और द्वार के पास कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। सही वास्तु उपायों के साथ यह दिशा शुभ फल दे सकती है।
क्या घर के मुख की गलत दिशा बदल सकते हैं?
यदि घर का मुख अशुभ दिशा में है, तो वास्तु दोष निवारण उपाय करके इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है। मुख्य द्वार के पास सकारात्मक प्रतीक चिह्न, तुलसी का पौधा, स्वस्तिक और शुभ रंगों का प्रयोग करने से नकारात्मक ऊर्जा को संतुलित किया जा सकता है।
क्या वास्तु दोष से बचने के लिए मुख्य द्वार पर कोई विशेष चिन्ह लगाने चाहिए?
हाँ, मुख्य द्वार पर स्वस्तिक, ओम, मंगल कलश, पंचमुखी हनुमान जी की तस्वीर, और तुलसी का पौधा लगाना शुभ माना जाता है। ये चिह्न नकारात्मक ऊर्जा को रोकते हैं और घर में शांति और समृद्धि लाते हैं।
घर का मुख्य द्वार कैसा होना चाहिए?
मुख्य द्वार मजबूत, साफ-सुथरा और बड़ा होना चाहिए। द्वार का आकार चौड़ा और सुंदर होना चाहिए, जिससे सकारात्मक ऊर्जा घर में आसानी से प्रवेश कर सके। टूटे-फूटे दरवाजे या जर्जर लकड़ी के प्रयोग से बचना चाहिए।
घर के मुख्य द्वार पर कौन-सा मंत्र लाभकारी होता है?
मुख्य द्वार के पास नियमित रूप से “ॐ नमः शिवाय” या “ॐ गण गणपतये नमः” मंत्र का जाप करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। इसके अलावा, संध्या के समय मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाने से नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं।
क्या दो मुख्य द्वार रखना वास्तु में सही है?
वास्तु शास्त्र में दो मुख्य द्वार रखना अच्छा माना जाता है, बशर्ते कि वे सही दिशा में हों। एक मुख्य द्वार से घर में प्रवेश और दूसरे से निकास होना शुभ माना जाता है। लेकिन तीन मुख्य द्वार अशुभ माने जाते हैं, क्योंकि यह ऊर्जा असंतुलन पैदा कर सकता है।
क्या मुख्य द्वार पर दर्पण लगाना वास्तु के अनुसार सही है?
मुख्य द्वार के ठीक सामने दर्पण लगाना अशुभ माना जाता है, क्योंकि यह घर में प्रवेश करने वाली सकारात्मक ऊर्जा को प्रतिबिंबित कर बाहर भेज सकता है। यदि दर्पण लगाना हो, तो इसे ऐसी जगह लगाएं जहां यह द्वार के सीधे सामने न हो।

कुलजीत सिंह कुंडली के विश्लेषण (Horoscope Analysis) और सफलता प्रदान करने वाले योगों (Success Yogas) की पहचान करने में 10 वर्षों का अनुभव रखते हैं। उनकी सरल और स्पष्ट शैली ज्योतिष को सभी के लिए सुलभ बनाती है।