कौन सा दोष विवाह में देरी का कारण बनता है? यह सवाल हर किसी के मन में कभी न कभी जरूर उठता है, खासकर जब विवाह में समय लग रहा हो या कोई रुकावट महसूस हो रही हो।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विवाह में देरी के पीछे कई ग्रह दोष हो सकते हैं, जो हमारे जीवन पर गहरा असर डालते हैं। क्या आप जानना चाहते हैं कि कौन से ग्रह दोष हैं, जो विवाह में रुकावट डाल सकते हैं?
और क्या इनके समाधान भी हैं? इस लेख में हम इन सभी सवालों का जवाब देंगे और बताएंगे कि कैसे आप इन दोषों से बच सकते हैं। जानिए इस बारे में और पाएं कुछ आसान और असरदार उपाय!
कौन सा दोष विवाह में देरी का कारण बनता है? (Which Dosha Causes Delay in Marriage?)

कौन सा दोष विवाह में देरी करता है? विवाह में देरी होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें ज्योतिषीय दोष प्रमुख रूप से जिम्मेदार होते हैं।
जब कुंडली में कुछ खास ग्रह दोष होते हैं, तो वे व्यक्ति के विवाह में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।
कुछ दोष जैसे मांगलिक दोष, काल सर्प दोष, चंद्र दोष, और शुक्र दोष विवाह में रुकावट डालते हैं।
मांगलिक दोष, खासकर तब उत्पन्न होता है जब मंगल ग्रह जन्म कुंडली के महत्वपूर्ण भावों में स्थित होता है, जो विवाह में विलंब का कारण बनता है।
वहीं, काल सर्प दोष तब होता है जब राहु और केतु के बीच सभी ग्रह स्थित होते हैं, जिससे विवाह में समस्याएं आ सकती हैं।
इसके अलावा, चंद्रमा और शुक्र के कमजोर या अशुभ प्रभाव से भी विवाह में देरी हो सकती है।
इन दोषों को पहचानना और उनके उपाय करना बेहद जरूरी है, ताकि आपकी शादी के रास्ते में कोई रुकावट न आए। जानने के लिए पढ़ें पूरी जानकारी!
विवाह में देरी के कारण
विवाह का समय और उम्र कुंडली के सातवें भाव पर निर्भर करता है। सातवां भाव दांपत्य जीवन और विवाह से संबंधित होता है। अगर इस भाव पर अशुभ ग्रहों का असर हो, तो विवाह में देरी या समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
उदाहरण के लिए, यदि सातवें घर में अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो विवाह में विलंब हो सकता है। इसके अलावा, सप्तम भाव की दशा, अंतर्दशा, या सातवें भाव को देख रहे ग्रहों की दशा विवाह में रुकावटें पैदा कर सकती हैं।
सातवें घर के अलावा छठे और दसवें भाव का भी विवाह से सीधा संबंध है। यदि इन घरों पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो, तो विवाह में बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं। सुखी दांपत्य जीवन के लिए बारहवें और ग्यारहवें भाव का शुभ होना भी आवश्यक है।
अशुभ ग्रहों के प्रभाव से विवाह में देरी

यदि जन्म कुंडली में सातवें घर में शुक्र, बुध, गुरु, या चंद्र का शुभ प्रभाव हो, तो विवाह में कोई रुकावट नहीं आती और विवाह जल्दी हो सकता है।
गुरु के प्रभाव से विवाह: यदि सातवें घर में गुरु स्थित हो, तो 25 वर्ष की आयु तक विवाह होने की संभावना रहती है। हालांकि, अगर सूर्य या मंगल का प्रभाव हो तो विवाह में एक साल या डेढ़ साल का विलंब हो सकता है।
चंद्र का प्रभाव: सातवें घर में चंद्र का प्रभाव और उस पर सूर्य या मंगल का असर होने से विवाह 26 से 27 वर्ष की उम्र में हो सकता है।
शुक्र का प्रभाव: शुक्र के सातवें घर में होने पर विवाह में दो से तीन साल का विलंब हो सकता है। यदि शनि या राहू का प्रभाव हो, तो यह विलंब बढ़ सकता है।
केतु का प्रभाव: यदि सातवें घर में केतु हो, तो विवाह में अड़चनें आती हैं।
शनि, मंगल, राहू, सूर्य का प्रभाव: इन ग्रहों का एक साथ सातवें घर में प्रभाव होने से विवाह में अधिक विलंब हो सकता है।
मांगलिक दोष और विवाह में देरी

मांगलिक दोष तब उत्पन्न होता है जब जन्म कुंडली में मंगल का अशुभ प्रभाव हो। यह दोष विवाह में देरी का मुख्य कारण बनता है। सामान्यत: मांगलिक व्यक्ति की शादी 27, 29, 31, 33, या 37 वर्ष की आयु में होती है। मांगलिक दोष के कारण विवाह में रुकावटें और बार-बार रिश्तों का टूटना भी देखा जा सकता है।
शीघ्र विवाह के उपाय
विवाह में देरी के कारणों को समझने के बाद, इन समस्याओं का समाधान करने के लिए ज्योतिष शास्त्र में कई उपाय बताए गए हैं। इन उपायों को अपनाकर विवाह में आ रही बाधाओं को दूर किया जा सकता है।

गुरु की शुभता: गुरु को विवाह का प्रमुख कारक माना गया है। उनकी शुभता से दांपत्य जीवन सुखमय होता है। गुरु के प्रभाव को बढ़ाने के लिए गुरुवार को व्रत रखें, पीला वस्त्र पहनें, और मंदिर में हल्दी का दान करें
पारद शिवलिंग पूजा: पारद शिवलिंग की पूजा करने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर हो जाती हैं। यह विशेष रूप से विवाह में विलंब होने पर लाभकारी होती है।
गौरी शंकर पूजा: यदि विवाह में विलंब हो रहा हो, तो नियमित रूप से गौरी शंकर की पूजा करें और मां गौरी को श्रंगार की वस्तुएं अर्पित करें।
हनुमान पूजा: मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने से विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं। हनुमान जी को सिंदूर और चोला चढ़ाएं।
दुर्गासप्तशती पाठ: 21 दिन तक संकल्प लेकर दुर्गासप्तशती के अर्गलास्तोत्रम् का पाठ करें और कन्याएं मां कात्यायनी की पूजा करें।
शनि दोष निवारण: यदि जन्म कुंडली में शनि के कारण विवाह में रुकावट हो, तो शनिवार को शिवलिंग पर काले तिल अर्पित करें और काले कपड़े में उड़द, लोहा, और साबुन बांधकर दान करें।
ग्रह दोष और विवाह में रुकावटें
विवाह में रुकावटें कई बार जन्म कुंडली में स्थित ग्रह दोषों के कारण आती हैं। इन दोषों के कारण विवाह में देरी हो सकती है या समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
मांगलिक दोष: यदि मंगल ग्रह जन्म कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो, तो यह मांगलिक दोष उत्पन्न करता है, जो विवाह में विलंब करता है।
चंद्र दोष: यदि चंद्रमा सातवें भाव में स्थित हो, तो विवाह के बाद समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
बृहस्पति दोष: सातवें घर में बृहस्पति का प्रभाव विवाह में देरी का कारण बन सकता है।
शुक्र दोष: शुक्र का छठे, आठवें, या बारहवें भाव में होना विवाह में समस्याएं उत्पन्न करता है।
काल सर्प दोष: अगर जन्म कुंडली में राहु और केतु के बीच ग्रह स्थित हों, तो काल सर्प दोष उत्पन्न होता है, जिससे विवाह में रुकावटें आती हैं।
विवाह में देरी के ज्योतिष उपाय
मंगलनाथ मंदिर पूजा: उज्जैन के मंगलनाथ मंदिर में ‘शांति भात पूजा’ करवाने से मंगल का शुभ प्रभाव प्राप्त होता है।
हनुमान पूजा: किसी प्राचीन हनुमान मंदिर में मंगलवार को चोला चढ़ाने से मंगल दोष दूर होता है।
शिव अभिषेक: सोमवार को दूध मिश्रित जल से शिवलिंग का अभिषेक करें, इससे चंद्र दोष शांत होता है।
गुरु दोष निवारण: गुरुवार को शिव सहस्त्रनाम का पाठ करके गुरु दोष का निवारण करें।
शुक्र दोष निवारण: शुक्रवार को कच्चे दूध में जल मिलाकर भगवती दुर्गा या महालक्ष्मी का अभिषेक करें।
निष्कर्ष
कौन सा दोष विवाह में देरी करता है? इस सवाल का उत्तर ज्योतिष शास्त्र में छिपा है, जहां कुछ खास ग्रह दोष जैसे मांगलिक दोष, काल सर्प दोष, चंद्र दोष और शुक्र दोष विवाह में रुकावट का कारण बनते हैं।
ये दोष कुंडली के महत्वपूर्ण भावों पर असर डालते हैं, जिससे विवाह के समय में देरी होती है। हालांकि, इन दोषों का समाधान ज्योतिषीय उपायों से संभव है, जो विवाह के मार्ग को सरल बना सकते हैं।
सही उपायों और मार्गदर्शन से आप इन बाधाओं को दूर कर जल्दी विवाह के योग बना सकते हैं। इस संदर्भ में एक योग्य ज्योतिषी से सलाह लेने से बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।
FAQs
देर से विवाह कौन सा ग्रह देता है?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विवाह में देरी होने के पीछे कई ग्रहों का प्रभाव हो सकता है। मुख्य रूप से, मांगलिक दोष (जब मंगल ग्रह कुंडली के प्रमुख भावों में स्थित होता है), काल सर्प दोष (जब राहु और केतु के बीच सभी ग्रह स्थित होते हैं), और शुक्र दोष (जब शुक्र का प्रभाव कमजोर या अशुभ हो) विवाह में देरी का कारण बनते हैं। इसके अलावा, यदि चंद्रमा या गुरु भी सातवें घर में अशुभ रूप से स्थित होते हैं, तो विवाह में विलंब हो सकता है।
विवाह में देरी का क्या कारण हो सकता है?
विवाह में देरी के कई कारण हो सकते हैं, जो ज्योतिषीय दोषों से संबंधित होते हैं। यदि कुंडली में मांगलिक दोष, काल सर्प दोष, या शुक्र दोष है, तो यह विवाह में रुकावट डाल सकता है। इसके अलावा, यदि कुंडली के सातवें भाव पर अशुभ ग्रहों का असर है, तो विवाह में देरी हो सकती है। कुंडली का सप्तम भाव, जो दांपत्य जीवन से संबंधित होता है, इसमें ग्रहों का प्रभाव विवाह के समय को निर्धारित करता है।
दो विवाह का योग कब बनता है?
ज्योतिष के अनुसार, दो विवाह का योग तब बनता है जब कुंडली में सातवें भाव में अशुभ ग्रह स्थित होते हैं या जब मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव के कारण व्यक्ति के जीवन में कई बार विवाह का योग बनता है। यदि सातवें घर में शुक्र, चंद्र, या गुरु जैसे शुभ ग्रह स्थित होते हैं, तो आमतौर पर एक ही विवाह होता है। यदि ग्रह दोष अधिक हों तो दो विवाह या विवाह में असफलता का योग बन सकता है।
शादी में देरी हो रही हो तो क्या करें?
शादी में देरी हो रही हो तो कई ज्योतिषीय उपाय किए जा सकते हैं। सबसे पहले, गुरु ग्रह को मजबूत करने के लिए गुरुवार को व्रत रखें और पीला वस्त्र पहनें। पारद शिवलिंग पूजा, हनुमान पूजा, और गौरी शंकर पूजा जैसे उपाय भी विवाह में देरी को दूर करने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, शनि दोष निवारण के लिए शनिवार को शिवलिंग पर काले तिल अर्पित करें और दान-पुण्य करें। इन उपायों से विवाह में रुकावटें कम हो सकती हैं।
भगवान शादी में देरी क्यों करता है?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भगवान या उच्च शक्ति द्वारा विवाह में देरी का कारण ग्रह दोष, कुंडली में स्थित दोष, और कर्म हो सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में मांगलिक दोष, काल सर्प दोष या अन्य ग्रह दोष होते हैं, तो यह विवाह के समय को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा, व्यक्ति के अच्छे कर्म और समय के अनुसार भगवान की इच्छा भी विवाह में देरी का कारण बन सकती है। जब सही समय आता है, तो जीवनसाथी मिलने के रास्ते खुलते हैं।
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विजय वर्मा वैदिक ज्योतिष (Vedic Astrology) और रत्न विज्ञान (Gemstone Science) में 20+ वर्षों का अनुभव रखते हैं। उन्होंने 10,000 से अधिक कुंडलियों (Horoscopes) का विश्लेषण किया है और व्यक्तिगत व पेशेवर उन्नति के लिए सटीक मार्गदर्शन प्रदान किया है। उनका अनुभव उन्हें एक भरोसेमंद ज्योतिष विशेषज्ञ बनाता है।