क्या आप भी जानना चाहते हैं कि आपकी कुंडली में लव मैरिज का योग है या अरेंज मैरिज का? यह सवाल बहुतों के मन में होता है, और ज्योतिष शास्त्र इस सवाल का उत्तर देने में काफी मदद कर सकता है।
आपकी कुंडली के ग्रह, भाव, और नक्षत्र इस बात का संकेत देते हैं कि आपका विवाह किस प्रकार से होगा। क्या आपके जीवन में प्रेम विवाह होगा या परिवार की इच्छा से अरेंज मैरिज होगी?
इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कुंडली में लव मैरिज कैसे पता करें? साथ ही, जानिए कौन से ग्रह और भाव आपके विवाह के फैसले को प्रभावित करते हैं। तो, अगर आप भी अपनी विवाह की राह को लेकर उत्सुक हैं, तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें!
कुंडली में लव मैरिज कैसे पता करें? (How to predict Love Marriage in Kundali?)

कुंडली से यह जानने का तरीका ज्योतिष शास्त्र में छिपा है कि किसी जातक के जीवन में लव मैरिज (Love Marriage) होगी या अरेंज मैरिज। आपकी जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति और उनके आपसी संबंध इस बात को निर्धारित करते हैं कि विवाह किस प्रकार का होगा।
लव मैरिज के लिए आमतौर पर पंचम और सप्तम भाव का महत्वपूर्ण योगदान होता है, जबकि अरेंज मैरिज का योग तब बनता है जब सप्तम भाव मजबूत हो और शुभ ग्रहों का प्रभाव हो।
ज्योतिष में, प्रेम विवाह के लिए शुक्र और मंगल ग्रह की स्थिति को देखा जाता है। अगर ये ग्रह अच्छे स्थान पर स्थित हों और अन्य शुभ ग्रहों से प्रभावित हों, तो लव मैरिज की संभावना बढ़ जाती है।
अंत में, आपकी कुंडली (Horoscope) के सभी ग्रहों और भावों का गहन विश्लेषण करके ही यह निश्चित किया जा सकता है कि आपकी शादी लव मैरिज होगी या अरेंज।
यदि आप पूरी जानकारी चाहते हैं, तो आप ज्योतिषी से अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाकर अपने विवाह के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
विवाह – एक पवित्र बंधन
विवाह केवल दो व्यक्तियों का मिलन नहीं होता, बल्कि यह दो परिवारों के बीच एक संबंध बनाता है। यह एक जीवनभर का बंधन होता है, जिसे दो लोग मिलकर निभाते हैं। कई लोग मानते हैं कि जोड़ियां स्वर्ग में बनती हैं, और यह काफी हद तक सही होता है।
कुछ जातकों की कुंडली में प्रेम विवाह का योग होता है, जो जीवन को सुखमय और प्रेममय बना सकता है।
इस लेख में हम आपको बताएंगे कि किस प्रकार कुंडली में लव मैरिज के लिए महत्वपूर्ण ग्रह और भाव होते हैं, जो यह बताते हैं कि आपके जीवनसाथी से आपका विवाह कैसा होगा।
ज्योतिष शास्त्र में लव मैरिज का अर्थ
कुंडली में प्रेम विवाह का विश्लेषण करने के लिए ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों और भावों की स्थिति का विश्लेषण किया जाता है।
ग्रहों की स्थिति और उनके संबंध से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आपके जीवन में प्रेम विवाह का योग है या नहीं। इसके अलावा, इससे यह भी पता चलता है कि आपका जीवन साथी कैसा होगा और विवाह के बाद आपके रिश्ते कैसे होंगे।
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कुंडली में लव मैरिज कैसे चेक करें?
ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में प्रेम विवाह का योग बनाने में प्रमुख भूमिका 5वें और 7वें भाव की होती है। इसके अलावा, 8वें और 11वें भाव का भी विवाह योग में अहम योगदान होता है। आइए जानते हैं कि इन भावों का क्या महत्व है:
कुंडली में 7 घर किसका होता है?
सप्तम भाव को वैवाहिक भाव कहा जाता है। यह आपके विवाह जीवन, यौन सुख और साथी के साथ रिश्ते की गहराई को दर्शाता है। यदि इस भाव में शुभ ग्रहों का स्थान हो, तो यह वैवाहिक सुख और सामंजस्य का संकेत देता है।
कौन सा घर प्रेम विवाह का संकेत देता है?
पंचम भाव प्रेम, रिश्तों और आनंद का प्रतीक होता है। यदि पंचम भाव का स्वामी सप्तम भाव में स्थित हो या इन दोनों भावों में ग्रहों की शुभ युति हो, तो जातक को प्रेम विवाह होने की संभावना होती है।
इसके अतिरिक्त, यदि पंचम और सप्तम भाव में नक्षत्रों की स्थिति बदलती है, तो भी प्रेम विवाह का योग बन सकता है।
कुंडली में 8 घर किसका होता है?
अष्टम भाव ससुराल, शारीरिक निकटता और यौन संबंधों से जुड़ा होता है। इस भाव में ग्रहों की स्थिति और नक्षत्रों का विशेष प्रभाव होता है, जो आपके प्रेम विवाह के संकेतों को प्रभावित कर सकते हैं।
कुंडली में 11 भाव किसका होता है?
ग्यारहवां भाव आपकी दोस्ती, आकांक्षाओं और सामाजिक संबंधों का प्रतीक है। इस भाव की स्थिति को देखकर आप यह समझ सकते हैं कि आपका रिश्ता किस दिशा में जा सकता है।
ग्यारहवें भाव में शुक्र, मंगल या अन्य शुभ ग्रहों की स्थिति आपके प्रेम विवाह की संभावना को प्रबल बना सकती है।
कुंडली में लव मैरिज के लिए महत्वपूर्ण ग्रह

कुंडली में प्रेम विवाह का योग कई ग्रहों द्वारा प्रभावित होता है। इन ग्रहों का स्थान और आपस में संबंध इस बात को निर्धारित करते हैं कि आपके जीवन में प्रेम विवाह का योग है या नहीं।
शुक्र ग्रह: प्रेम और आकर्षण का कारक
शुक्र ग्रह प्रेम, आकर्षण और सौंदर्य का प्रतीक होता है। यदि यह ग्रह शुभ स्थिति में हो, तो यह प्रेम विवाह की संभावना को बढ़ाता है। शुक्र ग्रह के प्रभाव से आपका प्रेम जीवन सकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकता है, और यह विवाह के संकेत भी देता है।
मंगल ग्रह: उत्साह और जोश का संकेत
मंगल ग्रह को जोश, उत्साह, और कार्यक्षमता का ग्रह माना जाता है। प्रेम विवाह के योग में मंगल ग्रह की स्थिति अहम होती है, क्योंकि यह आपकी इच्छाओं, आकांक्षाओं और रिश्तों को प्रभावित करता है।
हालांकि, यदि मंगल और शुक्र ग्रह एक साथ होते हैं, तो यह प्रेम विवाह के लिए कम अनुकूल हो सकता है, क्योंकि इसके कारण अनचाही समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
राहु ग्रह: गैर-पारंपरिक संघों का कारण
राहु ग्रह का प्रभाव कुंडली में विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। यदि राहु सप्तम भाव से जुड़ा होता है, तो यह गैर-पारंपरिक और अंतर्जातीय विवाहों का कारण बन सकता है। यह जातक के प्रेम विवाह को एक अलग दिशा में ले जा सकता है।
चंद्रमा ग्रह: भावनाओं का मार्गदर्शक
चंद्रमा ग्रह व्यक्ति की भावनाओं का प्रतीक है। यदि चंद्रमा कुंडली में सकारात्मक स्थिति में हो, तो यह प्रेम और खुशी को बढ़ावा देता है। अगर यह ग्रह नकारात्मक स्थिति में हो, तो यह व्यक्ति के रिश्तों में तनाव और निराशा पैदा कर सकता है। चंद्रमा और शुक्र की युति भी प्रेम विवाह के योग को प्रभावित करती है।
बुध ग्रह: संचार और मित्रता का संकेत
बुध ग्रह संचार और बुद्धिमत्ता का प्रतीक होता है। यदि यह ग्रह कुंडली में अच्छे स्थान पर स्थित हो, तो यह प्रेम और रिश्तों में सामंजस्य बनाए रखने में मदद करता है। बुध और शुक्र की युति प्रेम विवाह में सकारात्मक योगदान करती है, खासकर जब यह 5वें और 7वें भाव में हो।
कुंडली में प्रेम विवाह के योग के कारण
जब जातक की कुंडली में कुछ विशेष ग्रहों की युति और भावों का संयोजन होता है, तो प्रेम विवाह के योग बनते हैं। यदि पंचम और सप्तम भाव में शुभ ग्रहों का प्रभाव हो, तो प्रेम विवाह की संभावना बढ़ जाती है। इस प्रकार के योग जातक को जीवन में अपने पसंदीदा व्यक्ति से विवाह करने का अवसर प्रदान करते हैं।
पंचम और सप्तम भाव का महत्व
कुंडली के पंचम और सप्तम भाव का विशेष संबंध प्रेम विवाह के योग को स्पष्ट करता है। यदि इन दोनों भावों में शुभ ग्रहों का प्रभाव हो, तो जातक अपने जीवन साथी के साथ एक खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकता है।
शुक्र और मंगल ग्रह की युति का प्रभाव

यदि कुंडली में शुक्र और मंगल ग्रह की युति हो, तो यह प्रेम विवाह के संकेत देता है। हालांकि, इस युति के कारण विवाह के बाद कुछ समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं, लेकिन प्रेम विवाह की संभावना बनी रहती है।
कुंडली में प्रेम विवाह न होने के कारण
कई बार, कुंडली में प्रेम विवाह का योग बनने के बावजूद विवाह के बाद समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। अगर शुक्र ग्रह या अन्य अशुभ ग्रह किसी के जीवन में प्रभावी हो, तो यह विवाह में कठिनाइयों का कारण बन सकता है।
प्रेम विवाह के लिए आजमाएं ये ज्योतिषीय उपाय

कुंडली में प्रेम विवाह के योग को मजबूत करने के लिए कुछ ज्योतिष उपाय किए जा सकते हैं। जैसे, मंगला गौरी व्रत करना, राधा कृष्ण की पूजा करना, और अपने शुक्र ग्रह की स्थिति को मजबूत करना। इसके अलावा, नियमित रूप से शुभ दान और मंत्र जाप भी विवाह में सफलता ला सकते हैं।
इस प्रकार, कुंडली के विभिन्न ग्रहों और भावों का विश्लेषण करके यह जाना जा सकता है कि प्रेम विवाह का योग कैसे बनता है और विवाह के बाद जीवन कैसा रहेगा।
FAQs
कुंडली में दूसरा विवाह कैसे पता करें?
कुंडली में दूसरा विवाह होने की संभावना का पता लगाने के लिए ज्योतिषी सप्तम भाव (विवाह भाव), आठवां भाव (मृत्यु और पुनः विवाह), और नवम भाव (धार्मिक और दार्शनिक दृष्टिकोण) का गहन विश्लेषण करते हैं। यदि कुंडली में इन भावों पर शनि, राहु, या अन्य पाप ग्रहों का प्रभाव हो, तो दूसरे विवाह की संभावना बढ़ सकती है। इसके अलावा, किसी ग्रह की स्थिति और उसकी दशा भी इस पर असर डाल सकती है। विशेषज्ञ ज्योतिषी आपकी कुंडली का विश्लेषण कर सकते हैं और यह भविष्यवाणी कर सकते हैं कि क्या आपका दूसरा विवाह होगा।
ज्योतिष में प्रेम या अरेंज मैरिज की भविष्यवाणी कैसे करें?
ज्योतिष शास्त्र में प्रेम या अरेंज मैरिज की भविष्यवाणी के लिए आपकी कुंडली के पंचम (प्रेम) और सप्तम (विवाह) भावों का विश्लेषण किया जाता है। यदि पंचम और सप्तम भाव में शुभ ग्रहों का योग हो और शुक्र-मंगल जैसे ग्रह अच्छे स्थान पर हों, तो प्रेम विवाह की संभावना होती है। वहीं, यदि सप्तम भाव पर शनि, बृहस्पति या अन्य शुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो अरेंज मैरिज के योग बनते हैं। इसके अलावा, कुंडली में राहु और शनि का संयोजन भी विवाह के प्रकार को प्रभावित कर सकता है।
शादी के लिए कौन सा चार्ट देखना है?
शादी के लिए कुंडली का सप्तम भाव सबसे महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह विवाह, साझेदारी और रिश्तों का संकेत देता है। इसके अलावा, पंचम भाव (प्रेम) और नवम भाव (धार्मिक दृष्टिकोण) का भी विश्लेषण किया जाता है। शादी के समय और विवाह के प्रकार का पता लगाने के लिए कुंडली के साथ-साथ ग्रहों की दशा और गोचर भी महत्वपूर्ण होते हैं।
कुंडली से शादी की तारीख कैसे निकाले?
कुंडली से शादी की तारीख निकालने के लिए ज्योतिषी मुहूर्त का विश्लेषण करते हैं। इसके तहत जन्म कुंडली के ग्रहों की स्थिति और गोचर का अध्ययन करके शुभ और अनुकूल समय की पहचान की जाती है। विवाह के लिए शुभ समय का निर्धारण मुख्य रूप से शुभ ग्रहों की दशा, सप्तम भाव, और चंद्रमा के गोचर पर निर्भर करता है। यदि आप अपनी शादी की तारीख जानना चाहते हैं, तो कुंडली का गहन विश्लेषण करवा सकते हैं ताकि आपके लिए शुभ और सही मुहूर्त चुना जा सके।
अवैध संबंध के लिए कौन सा ग्रह जिम्मेदार है?
अवैध संबंध या विवाहेतर संबंधों के लिए ज्योतिष में राहु और शनि को मुख्य रूप से जिम्मेदार ठहराया जाता है। इन ग्रहों की स्थिति जब कुंडली के सप्तम भाव से जुड़ी होती है, तो यह अवैध संबंधों की संभावना को जन्म देती है। इसके अलावा, राहु का सातवें भाव से या शुक्र के साथ मिलना भी ऐसे संबंधों को जन्म दे सकता है। अवैध संबंधों के संकेतों के लिए कुंडली के आठवें और बारहवें भाव का भी विश्लेषण किया जाता है, जो गुप्त और संवेगपूर्ण मामलों से संबंधित होते हैं।

विजय वर्मा वैदिक ज्योतिष (Vedic Astrology) और रत्न विज्ञान (Gemstone Science) में 20+ वर्षों का अनुभव रखते हैं। उन्होंने 10,000 से अधिक कुंडलियों (Horoscopes) का विश्लेषण किया है और व्यक्तिगत व पेशेवर उन्नति के लिए सटीक मार्गदर्शन प्रदान किया है। उनका अनुभव उन्हें एक भरोसेमंद ज्योतिष विशेषज्ञ बनाता है।