कुंडली में राहु केतु का प्रभाव से क्या होता है: जानें इन ग्रहों का जीवन पर असर

कुंडली में राहु केतु का प्रभाव से क्या होता है ? ज्योतिष में राहु और केतु को छाया ग्रह माना जाता है, लेकिन इनका प्रभाव किसी भी व्यक्ति के जीवन पर गहरा पड़ता है। ये ग्रह सफलता और असफलता, भ्रम और स्पष्टता, बाधाओं और अवसरों को प्रभावित कर सकते हैं।

कुछ लोगों को ये अचानक ऊंचाइयों तक पहुंचा देते हैं, तो कुछ को संघर्षों से भर देते हैं। आखिर कुंडली में राहु केतु का प्रभाव से क्या होता है ?

अगर आपकी ज़िंदगी में अनपेक्षित बदलाव आ रहे हैं, तो हो सकता है कि इन ग्रहों की स्थिति इसकी वजह हो। आइए, विस्तार से समझते हैं कि ये रहस्यमयी ग्रह हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करते हैं।

कुंडली में राहु केतु का प्रभाव से क्या होता है? (Effects of Rahu and Ketu in Birth Chart)

  कुंडली में राहु केतु का प्रभाव से क्या होता है?

राहु और केतु का प्रभाव किसी भी व्यक्ति के जीवन पर गहरा असर डाल सकता है। ये दोनों ग्रह सूर्य और चंद्रमा को प्रभावित करते हैं और ग्रहण का कारण बनते हैं।

जन्म कुंडली में इनका स्थान और अन्य ग्रहों के साथ इनकी युति (संयोग) व्यक्ति के जीवन में बड़ी घटनाओं को जन्म दे सकती है। खासकर, जब कुंडली में राहु-केतु की स्थिति अशुभ हो, तो कालसर्प योग बनता है, जिससे जीवन में परेशानियां बढ़ सकती हैं।


राहु के प्रभाव से क्या होता है? (Effects of Rahu in Life)

राहु को मायावी ग्रह माना जाता है, जो भौतिक सुख, छल-कपट, भ्रम, और मानसिक तनाव से जुड़ा होता है। यह व्यक्ति की बुद्धि और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करता है, जिससे कई बार वह सही और गलत में अंतर नहीं कर पाता।

यदि राहु कुंडली में शुभ स्थिति में हो, तो व्यक्ति राजनीति, प्रशासन, गुप्तचर सेवा, और तकनीकी क्षेत्रों में बड़ी सफलता प्राप्त कर सकता है। यह विदेश यात्रा, आधुनिक तकनीक, वैज्ञानिक खोज, और रहस्यमयी ज्ञान का भी कारक होता है।

राहु का शुभ प्रभाव किसी व्यक्ति को समाज में प्रसिद्धि, प्रभावशाली व्यक्तित्व, और बड़ी उपलब्धियां दिला सकता है। कई सफल नेता, वैज्ञानिक, और मीडिया से जुड़े लोग अपनी कुंडली में मजबूत राहु के कारण उन्नति प्राप्त करते हैं।

हालांकि, यदि राहु अशुभ स्थिति में हो, तो यह व्यक्ति को भटकाव, अनैतिक कार्यों, झूठ, धोखे, और नशे की लत में डाल सकता है। यह गलत संगति, अपराधिक प्रवृत्ति, और मानसिक तनाव बढ़ाने वाला ग्रह है।

अशुभ राहु वाले व्यक्ति को बार-बार धोखा मिलता है, उसका मन अस्थिर रहता है, और वह भ्रमित होकर गलत निर्णय ले सकता है। जीवन में अचानक नुकसान, कानूनी समस्याएं, और मानसिक परेशानियां राहु के अशुभ प्रभाव के लक्षण होते हैं।

यह व्यक्ति को अति महत्वाकांक्षी बनाकर शॉर्टकट अपनाने के लिए प्रेरित कर सकता है, जिससे उसका जीवन अस्थिर हो सकता है। राहु के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए संयम, नैतिकता, और धार्मिक कार्यों का सहारा लेना चाहिए।


केतु के प्रभाव से क्या होता है?

केतु को आध्यात्म, रहस्य, गूढ़ ज्ञान, वैराग्य, और आत्मज्ञान का प्रतीक माना जाता है। यह व्यक्ति को भौतिक सुखों से दूर कर आध्यात्मिकता की ओर ले जाता है।

यदि केतु कुंडली में शुभ स्थिति में हो, तो व्यक्ति में गहरी सोचने की क्षमता, शोधकार्य, और दार्शनिक दृष्टिकोण विकसित होता है। यह ग्रह ध्यान, तपस्या, और रहस्यमयी विद्याओं में रुचि बढ़ाता है।

शुभ केतु वाले व्यक्ति अक्सर महान शोधकर्ता, योगी, संत, और वैज्ञानिक बनते हैं, जो गहरी समझ और अन्वेषण क्षमता रखते हैं। यह ग्रह किसी व्यक्ति को असाधारण मानसिक शक्ति, अंतर्ज्ञान, और भविष्यदृष्टा जैसी क्षमताएं भी दे सकता है।

लेकिन जब केतु अशुभ होता है, तो यह व्यक्ति को दिशाहीन, अकेला, और मानसिक रूप से अस्थिर बना सकता है। यह अनिर्णय, भ्रम, और अनजानी चिंताओं को जन्म देता है, जिससे व्यक्ति को बिना किसी ठोस कारण के डर और असुरक्षा महसूस हो सकती है।

अशुभ केतु का प्रभाव व्यक्ति को भटकाव, अजीबोगरीब आदतें, और सामाजिक जीवन से कटाव की ओर धकेल सकता है। यह ग्रह शारीरिक रूप से भी समस्याएं दे सकता है, जैसे जोड़ो का दर्द, गठिया, और तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याएं।

व्यक्ति को बार-बार अनजानी दुर्घटनाओं या शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में, केतु के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए गणेश जी की पूजा, ध्यान, और परोपकार जैसे उपाय करना लाभदायक होता है।

राहु-केतु की पौराणिक कथा

राहु-केतु की पौराणिक कथा

राहु और केतु के जन्म की कहानी समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है। पौराणिक कथाओं के अनुसार:

  • असुर स्वर्भानु ने देवताओं का रूप धारण करके अमृत पान कर लिया।
  • सूर्य और चंद्रमा ने उसकी पहचान कर भगवान विष्णु को बताया।
  • विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका सिर काट दिया।
  • लेकिन क्योंकि उसने अमृत पिया था, उसका शरीर अमर हो गया और ब्रह्मा ने उसे दो अलग-अलग ग्रहों, राहु और केतु के रूप में स्थापित कर दिया।
  • राहु को सिर और केतु को धड़ माना जाता है, यही कारण है कि राहु मानसिक और बौद्धिक प्रभाव डालता है, जबकि केतु शरीर और आत्मा को प्रभावित करता है।

राहु-केतु के लक्षण और प्रभाव

राहु-केतु के लक्षण और प्रभाव

राहु और केतु के अशुभ प्रभाव को पहचानने के लिए कुछ खास लक्षण होते हैं।

राहु-केतु और व्यक्तित्व पर प्रभाव

  • अशुभ राहु: व्यक्ति को लालची, चालाक, धोखेबाज और मानसिक रूप से अशांत बना सकता है।
  • शुभ राहु: राजनीति, प्रशासन, गुप्तचर कार्य, और विदेश यात्रा में सफलता देता है।
  • अशुभ केतु: दिशाहीनता, चिड़चिड़ापन, और मानसिक तनाव का कारण बनता है।
  • शुभ केतु: व्यक्ति को आध्यात्मिक, शोधकर्ता, और दार्शनिक बना सकता है।
  • शुभ केतु: व्यक्ति को आध्यात्मिक, शोधकर्ता, और दार्शनिक बना सकता है।

राहु-केतु और शारीरिक लक्षण

  • राहु का प्रभाव सिर, आंखों और गले पर होता है, जिससे सिरदर्द, भ्रम, और दांतों की समस्या हो सकती है।
  • केतु रीढ़ की हड्डी, घुटनों और जोड़ों को प्रभावित करता है, जिससे कमर दर्द, गठिया, और जोड़ों में कमजोरी आ सकती है।
  • यदि राहु ज्यादा प्रभावी हो तो व्यक्ति को अधिक लार टपकने की समस्या हो सकती है।
  • शरीर पर बार-बार चोट लगना, फोड़े-फुंसी होना, या रक्त की कमी होना केतु के प्रभाव को दर्शाता है।

राहु-केतु को प्रसन्न करने के खास उपाय

राहु-केतु के अशुभ प्रभाव को दूर करने के उपाय


राहु को ठीक करने के लिए क्या करना चाहिए?

  • माता दुर्गा की पूजा करें और “ॐ रां राहवे नमः” मंत्र का जाप करें।
  • झूठ बोलने से बचें और ससुराल पक्ष से अच्छे संबंध बनाए रखें।
  • भोजन हमेशा खाने की जगह पर ही करें, इधर-उधर खाने से राहु अशुभ होता है।
  • शनिवार के दिन काले तिल, काले वस्त्र, और लोहे का दान करें।
  • 100 दिन तक मंदिर में झाड़ू लगाने से राहु के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।
  • रात को सिरहाने मूली रखकर सुबह उसे मंदिर में दान करें।


केतु को खुश करने के लिए क्या करना चाहिए?

  • भगवान गणेश की पूजा करें और “ॐ कें केतवे नमः” मंत्र का जाप करें।
  • संतान से अच्छे संबंध बनाए रखें, क्योंकि संतान को केतु का प्रतीक माना जाता है।
  • कुत्तों को रोटी खिलाएं और सफेद-काले रंग का दोरंगी कंबल किसी मंदिर में दान करें।
  • शनिवार को सरसों का तेल और उड़द की दाल का दान करें।
  • तिल, गुड़ और नारियल से बनी चीजें गरीबों में बांटें।

राहु-केतु और ग्रहण का संबंध

राहु और केतु को ग्रहण का मुख्य कारण माना जाता है। जब ये सूर्य और चंद्रमा के प्रभाव में आते हैं, तो सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण लगता है।

  • राहु के प्रभाव में सूर्य आने से पिता, सरकारी कार्यों, और आत्मविश्वास में बाधा आती है।
  • केतु के प्रभाव में चंद्रमा आने से मानसिक तनाव, भ्रम, और अकेलापन बढ़ता है।

राहु-केतु के ज्योतिषीय मंत्र

इन ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए विशेष मंत्रों का जाप करना लाभकारी होता है।

राहु मंत्र:
“अर्धकायं महावीर्यं चन्द्रादित्यविमर्दनम्।
सिंहिकागर्भसंभूतं तं राहुं प्रणमाम्यहम्।।”

केतु मंत्र:
“पलाशपुष्पसंकाशं तारकाग्रहमस्तकम्।
रौद्रं रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम्।।”

निष्कर्ष

कुंडली में राहु और केतु का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में गहरे उतार-चढ़ाव ला सकता है। ये ग्रह भ्रम, बाधाओं और अप्रत्याशित घटनाओं के कारक होते हैं, लेकिन सही उपायों से इनकी नकारात्मकता को कम किया जा सकता है।

शुभ राहु और केतु उच्च सफलता, आध्यात्मिक ज्ञान और अनूठी क्षमताओं का आशीर्वाद देते हैं, जबकि अशुभ स्थिति में ये मानसिक तनाव और अस्थिरता ला सकते हैं।

ज्योतिषीय उपाय, मंत्र जाप और सही दिशा में कर्म करने से इनका प्रभाव संतुलित किया जा सकता है। सही समझ और उपायों के साथ राहु-केतु के प्रभाव को अपने पक्ष में बदला जा सकता है।

FAQs

राहु केतु क्यों परेशान करते हैं?

राहु और केतु को पाप ग्रह माना जाता है क्योंकि ये भ्रम, अस्थिरता, मानसिक तनाव और अप्रत्याशित बाधाओं का कारण बन सकते हैं। जब ये अशुभ स्थिति में होते हैं या अशुभ ग्रहों के साथ होते हैं, तो व्यक्ति को करियर, रिश्तों और स्वास्थ्य में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। राहु धोखे, असत्य और व्यसनों से जुड़ा होता है, जबकि केतु वैराग्य, अकेलापन और मानसिक भ्रम को बढ़ा सकता है।

राहु किस देवता से डरता है?

राहु भगवान विष्णु से डरता है, क्योंकि उन्हीं ने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर काटा था। इसके अलावा, राहु को शांत करने के लिए भगवान हनुमान की पूजा करने का भी विशेष महत्व है। हनुमान जी के मंत्रों और सुंदरकांड का पाठ करने से राहु के अशुभ प्रभाव कम होते हैं और व्यक्ति को सफलता मिलती है।

राहु और केतु एक साथ हो तो क्या होगा?

जब राहु और केतु एक साथ होते हैं, तो यह ग्रहण दोष या अत्यधिक मानसिक और आध्यात्मिक अस्थिरता का कारण बन सकता है। ऐसे योग में व्यक्ति भ्रमित रहता है, निर्णय लेने में कठिनाई होती है, और जीवन में अचानक बदलाव देखने को मिलते हैं। सही उपाय और पूजा-पाठ करने से इस प्रभाव को कम किया जा सकता है।

राहु केतु किसका पुत्र है?

राहु और केतु असुर स्वर्भानु के हिस्से हैं, जो समुद्र मंथन के समय अमृत पान करने के कारण अमर हो गए थे। भगवान विष्णु ने जब उनका सिर काट दिया, तो सिर वाला भाग राहु और धड़ वाला भाग केतु बन गया। इन दोनों को ग्रहों का दर्जा दिया गया और कालचक्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगे।

राहु और केतु को कौन सा भगवान नियंत्रित कर सकता है?

राहु और केतु को भगवान विष्णु, भगवान शिव और भगवान गणेश नियंत्रित कर सकते हैं। राहु को शांत करने के लिए हनुमान जी की पूजा और महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है, जबकि केतु के लिए गणपति उपासना, केतु मंत्र और दान करने का महत्व बताया गया है।

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