सहस्त्रार चक्र जागरण के बाद क्या होता है? सातवां चक्र, जिसे शिरोमणि चक्र या क्राउन चक्र कहा जाता है, आत्मज्ञान और परम सत्य से जुड़ा होता है। संस्कृत में इसे “सहस्रार चक्र” कहा जाता है, जिसका अर्थ है “हजार पंखुड़ियों वाला चक्र”।
यह चक्र हमारे जीवन में आध्यात्मिक जागृति और आत्मबोध लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सहस्रार चक्र को संतुलित करना हमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाता है। आइए विस्तार से समझें और जानें कि सहस्त्रार चक्र जागरण के बाद क्या होता है?
सहस्त्रार चक्र जागरण के बाद क्या होता है? (What Happens After Sahasrara Chakra Awakening?)

सहस्रार चक्र (Crown Chakra) को आत्मा की ऊर्जा का मुख्य केंद्र माना जाता है। यह शरीर की ऊर्जा को निचले चक्रों से ऊपर उठाकर परम चेतना से जोड़ता है। यह हमें बाहरी दुनिया के मोह से परे जाकर अपनी आत्मा के साथ जुड़ने में मदद करता है।
योग और ध्यान की परंपराओं में इसे समाधि और परमात्मा से जुड़ाव का प्रतीक माना गया है। जब सहस्रार चक्र संतुलित होता है, तो व्यक्ति गहरी आत्मशांति और दिव्यता का अनुभव करता है।
सहस्रार चक्र का प्रतीक और ध्वनि
सहस्रार चक्र का प्रतीक एक कमल का फूल होता है, जिसमें पचास पंखुड़ियों वाली बीस परतें होती हैं। इसका रंग सफेद या सुनहरा होता है, जो पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक है।
इस चक्र की बीज ध्वनियां “AUM”, “AH” और “ANG” होती हैं, जबकि स्वर ध्वनि “EE” मानी जाती है। इन ध्वनियों का नियमित जाप सहस्रार चक्र को संतुलित करने में मदद करता है।
सहस्रार चक्र के जागरण के प्रमुख लक्षण
जब सहस्रार चक्र सक्रिय होता है, तो व्यक्ति के भीतर कई सकारात्मक बदलाव होते हैं। आइए इन बदलावों को विस्तार से समझते हैं:
1. चेतना का विस्तार
सहस्रार चक्र के खुलने पर व्यक्ति की चेतना व्यापक हो जाती है। वह अपने जीवन का उद्देश्य स्पष्ट रूप से समझने लगता है और हर स्थिति को एक नई दृष्टि से देखने लगता है।
उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति पहले छोटी-छोटी बातों पर परेशान हो जाता था, तो अब वह धैर्य और स्पष्टता के साथ स्थितियों को समझने लगता है।
2. आत्मचिंतन और एकांत में रुचि
इस चक्र के जागरण के बाद व्यक्ति को आत्मचिंतन के लिए समय बिताना पसंद आने लगता है। उसे बाहरी शोरगुल से दूर रहकर अपने भीतर की यात्रा करना अच्छा लगता है। वह ध्यान और साधना के माध्यम से आत्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होता है।
3. आध्यात्मिकता की ओर झुकाव

सहस्रार चक्र के जागृत होने पर व्यक्ति के भीतर आध्यात्मिकता के प्रति गहरी रुचि उत्पन्न होती है। उसे ईश्वर, आत्मा और ब्रह्मांड से जुड़े विषय आकर्षित करने लगते हैं। वह साधना और ध्यान के माध्यम से अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानने की कोशिश करता है।
4. भौतिक वस्तुओं में कम रुचि
सहस्रार चक्र के जागरण के बाद व्यक्ति भौतिक सुख-सुविधाओं में ज्यादा रुचि नहीं लेता। महंगे कपड़े या विलासिता की वस्तुएं उसके लिए कम मायने रखने लगती हैं।
इसका अर्थ यह नहीं है कि वह सांसारिक चीजों को नकार देता है, बल्कि वह इन चीजों पर अत्यधिक निर्भर नहीं रहता और साधारण जीवन में भी खुश रहता है।
5. नींद के पैटर्न में बदलाव
सहस्रार चक्र के सक्रिय होने पर व्यक्ति की नींद अधिक गहरी और शांतिपूर्ण हो जाती है। उसे सपनों के माध्यम से गहरी अंतर्दृष्टि प्राप्त होने लगती है। यह संकेत है कि उसका अवचेतन मन जागरूक और सक्रिय हो गया है।
सहस्रार चक्र को संतुलित रखने के उपाय
सहस्रार चक्र को संतुलित और सक्रिय रखने के लिए ध्यान, सकारात्मक सोच और योग का अभ्यास बेहद प्रभावी होता है। आइए इन उपायों को विस्तार से समझते हैं:
1. ध्यान और बीज मंत्र का जाप
ध्यान और मंत्र जाप सहस्रार चक्र को संतुलित करने में सहायक होते हैं।
- “AUM” और “EE” ध्वनि का जाप करने से ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।
- ध्यान के दौरान शांत स्थान पर बैठें और अपनी आंखें बंद करें।
- धीरे-धीरे गहरी सांस लें और “AUM” का उच्चारण करें।
यह अभ्यास आपको मानसिक शांति प्रदान करता है और आपके भीतर की ऊर्जा को जागृत करता है।
2. सकारात्मक सोच और आत्मचिंतन
अपने विचारों को सकारात्मक और प्रेरणादायक बनाए रखें।
- दिन में कुछ समय आत्मचिंतन के लिए निकालें।
- अपनी भावनाओं को समझें और संतुलित करने का प्रयास करें।
इससे आपको अपने भीतर की कमजोरियों को पहचानने और उन्हें दूर करने में मदद मिलती है।
3. योग और प्राणायाम
सहस्रार चक्र को संतुलित करने के लिए योग और प्राणायाम का नियमित अभ्यास जरूरी है।
- शीर्षासन (Headstand): यह आसन मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को बढ़ाता है और सहस्रार चक्र की ऊर्जा को सक्रिय करता है।
- अनुलोम-विलोम: यह श्वसन तकनीक मानसिक शांति और ऊर्जा संतुलन में मदद करती है।
4. एरोमाथेरेपी और संगीत चिकित्सा
सुगंधित तेलों और शांत संगीत का उपयोग सहस्रार चक्र को संतुलित करने में मदद करता है।
- ध्यान के दौरान लैवेंडर या चंदन के तेल की हल्की सुगंध का उपयोग करें।
- ध्यान के समय शांत और ध्यान केंद्रित करने वाला संगीत सुनें।
निष्कर्ष
सहस्रार चक्र आत्मज्ञान, शांति और दिव्यता का प्रतीक है। यह व्यक्ति को उसकी आत्मा और ब्रह्मांड से जोड़ने में मदद करता है। सहस्रार चक्र को संतुलित करने के लिए ध्यान, योग, प्राणायाम और सकारात्मक सोच का अभ्यास आवश्यक है।
जब यह चक्र संतुलित होता है, तो व्यक्ति गहरी आत्मिक शांति, आत्मविश्वास और पूर्णता का अनुभव करता है। सहस्रार चक्र का जागरण हमें भौतिक और आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाता है और जीवन को एक नई दिशा प्रदान करता है।
नियमित अभ्यास से हम अपने जीवन में अनंत ऊर्जा और आत्मिक उन्नति का अनुभव कर सकते हैं।
सहस्रार चक्र जागरण के बाद क्या होता है?
सहस्रार चक्र के जागरण के बाद व्यक्ति के जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आते हैं। व्यक्ति को आत्मज्ञान, शांति और दिव्यता का अनुभव होता है। उसका आत्मविश्वास और आध्यात्मिक जुड़ाव बढ़ जाता है। जागृत सहस्रार चक्र के कारण व्यक्ति बाहरी दुनिया की चीजों से अधिक नहीं जुड़ता और साधारण जीवन में भी प्रसन्न रहता है। ध्यान और साधना के अभ्यास के साथ व्यक्ति अपने जीवन का उद्देश्य स्पष्ट रूप से समझने लगता है।
मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरे चक्र खुले हैं?
चक्रों के खुलने के बाद व्यक्ति अपने भीतर अधिक शांति, सकारात्मकता और ऊर्जा का अनुभव करता है। आत्म-अभिव्यक्ति में सुधार, मानसिक स्पष्टता और धैर्य बढ़ना इसके संकेत हो सकते हैं। विशेष रूप से सहस्रार चक्र के जागरण के दौरान व्यक्ति को एकता और पूर्णता का अनुभव होता है। साथ ही, व्यक्ति के सपनों में भी स्पष्टता आती है और उसकी नींद पहले से अधिक शांतिपूर्ण हो जाती है।
7 चक्र जागृत होने के बाद क्या होता है?
सातों चक्रों के जागृत होने पर व्यक्ति एक आध्यात्मिक जागृति की स्थिति में पहुंच जाता है। उसका मन, शरीर और आत्मा एक संतुलन में आ जाते हैं। व्यक्ति अपने भीतर से नकारात्मकता को हटाकर आत्मविश्वास, प्रेम और स्थिरता महसूस करता है। सहस्रार चक्र के जागरण के साथ व्यक्ति जीवन के हर पहलू में पूर्णता और गहन शांति का अनुभव करता है।
सहस्रार चक्र का देवता कौन था?
सहस्रार चक्र का संबंध किसी विशेष देवता से नहीं है। यह चक्र ब्रह्मांडीय ऊर्जा और ब्रह्म (सर्वोच्च चेतना) का प्रतीक है। यह “परम सत्य” और “आत्मा के उच्चतम स्तर” को दर्शाता है। ध्यान के माध्यम से व्यक्ति ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जुड़ सकता है, जो उसे आत्मज्ञान और शांति प्रदान करती है।
पैसे के लिए कौन सा चक्र है?
पैसे और भौतिक समृद्धि का संबंध मूलाधार चक्र से होता है। यह चक्र सुरक्षा, स्थिरता और आर्थिक प्रगति का प्रतीक है। यदि मूलाधार चक्र संतुलित नहीं होता, तो व्यक्ति को धन से जुड़ी समस्याएं, असुरक्षा और आर्थिक अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है। इस चक्र को संतुलित रखने के लिए ध्यान, प्राणायाम और सकारात्मक सोच का अभ्यास करना चाहिए।
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कुलजीत सिंह कुंडली के विश्लेषण (Horoscope Analysis) और सफलता प्रदान करने वाले योगों (Success Yogas) की पहचान करने में 10 वर्षों का अनुभव रखते हैं। उनकी सरल और स्पष्ट शैली ज्योतिष को सभी के लिए सुलभ बनाती है।